नई दिल्ली: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह काफी समय से बीमार थीं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके न रहने की अचानक आई खबर पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा है क्योंकि राजनीति लेकर उनके बयान लगातार आते रहे हैं और कभी किसी को लगा ही नहीं कि वह इतनी ज्यादा बीमार हैं. 81 साल की उम्र में भी वह सक्रिय थीं और कांग्रेस और दिल्ली को लेकर उनके मन में चिंता थी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जब राहुल गांधी ने निराश होकर खुद को घर में कैद कर लिया था तो शीला दीक्षित ने उनसे मिलने गई थीं लेकिन राहुल उस समय पार्टी के किसी भी नेता से नहीं मिलना चाहते थे.
तब शीला दीक्षित ने उनके पास अपना संदेश भिजवाया. उन्होंने कहा, मैंने उन्हें अपना संदेश दिया है कि उनको अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए. हम चाहते हैं कि वह इस पद पर बने रहें नहीं तो यह हमारे लिए कष्टकारी होगा. इससे पहले शीला दीक्षित ने यह भी कहा कि पार्टी को राहुल गांधी का इस्तीफा स्वीकार नहीं करना चाहिए. हार-जीत तो पार्टी का हिस्सा होती है लेकिन अहम यह है लड़ाई जारी रखो. हम हारे हैं और इसकी समीक्षा कर रहे हैं. हमें गलतियों का तोड़ निकालेंगे. हम इंदिरा गांधी के समय भी हारे थे.
बीते 18 जून को उपराज्य को लिखा था पत्र
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बीते 18 जून को उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर क्षेत्र में बढ़ते अपराध को लेकर चिंता व्यक्त की थी. दीक्षित का पत्र मुखर्जी नगर इलाके में पुलिस कर्मियों द्वारा कथित रूप से एक टेम्पो चालक की पिटाई के मद्देनजर था. पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने बैजल का ध्यान दिल्ली में अपराध की बढ़ती घटनाओं की ओर खींचा और दिल्ली पुलिस को इन घटनाओं को लेकर और चौकस रहने के लिए उनसे हस्तक्षेप करने की अपील की थी.
बिजली के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलीं
12 जून को दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार अगले 6 महीने तक दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं से बिजली बिल ना वसूले. शीला दीक्षित का कहना है कि राज्य सरकार ने गैरकानूनी रूप से दिल्ली के लोगों से पेंशन फंड के नाम पर 7401 करोड़ वसूले हैं और बिजली वितरण कंपनियों को फायदा पहुंचाया है.
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