
अशाेेेक यादव, लखनऊ। सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज/इंफेक्शन (STD/STI) का फैलाव हमारी सोच से कहीं ज्यादा आम है और ये उन बहुत गंभीर बीमारियों में से एक हैं, जिनका अभी तक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है।
लेकिन चूंकि सेक्स के बारे में बात करना वर्जित है, इसलिए STD का पता चल चुके मामलों में से भी सिर्फ एक तिहाई का ही इलाज हो पाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, “2016 में एसटीडी के कुल अनुमानित मामले 37.64 करोड़ थे। इसमें क्लमिडिया के 12.7 करोड़, गोनोरिया के 8.7 करोड़ मामले, सिफलिस के 63 लाख और ट्राइकोमोनियासिस के 15.6 करोड़ मामले थे।”
इसलिए आंकड़ों के हिसाब से दुनिया में हर 25 लोगों में से एक शख्स को कम से कम एक STD है, जबकि कुछ में एक से अधिक है।
इसे लेकर शर्म से भी बड़ी बात ये है कि पढ़े-लिखे लोगों के बीच भी एसटीडी को लेकर अज्ञानता है, जिसके कारण इंफेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, खासकर शहरी भारत में।
जैसा कि नाम से जाहिर है, सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज मुख्यतः सेक्शुअल कॉन्टैक्ट से फैलती है, जिसमें ओरल, वजाइनल या एनल सेक्स शामिल है। लेकिन कई एसटीडी जैसे सिफलिस, हेपेटाइटिस बी, एचआईवी गर्भावस्था और प्रसव के दौरान एक मां से उसके बच्चे में जा सकती है।
STI होने की आशंका तब बढ़ जाती है, अगर आपने एक नया सेक्शुअल पार्टनर बनाया है, हमेशा कंडोम का इस्तेमाल नहीं करते, एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर रहे हैं, पुरुष हैं और पुरुषों के साथ सेक्स संबंध रखते हैं या पहले STI हो चुका है।
डॉक्टरों का सुझाव है कि पुरुषों और महिलाओं को STD टेस्ट साल में कम से कम एक बार कराना चाहिए। इसके साथ ही महिलाओं को हर तीन साल में एक बार Pap टेस्ट कराना चाहिए।
पूरे भारत में 31 अगस्त 2016 तक 20,756 इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर काम कर रहे थे, जो मुख्यतः सरकारी अस्पतालों में थे, जो कम खर्च पर STD और HIV-AIDS के लिए व्यापक परीक्षण के साथ हर शख्स को अलग-अलग गोपनीयता के साथ परामर्श दे रहे थे।
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