
अशोक यादव, लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के राजकीय एवं निजी मेडिकल कालेजों की इमरजेंसी में में भर्ती से पहले 7 बिन्दुओं पर स्क्रीनिग होगी।
अनजाने में कोरोना संक्रमित मरीज के भर्ती होने से इमरजेंसी सेवाओं के ठप होने की आशंका को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इससे चिकित्सकों तथा अन्य स्टाफ को कोरोन्टाइन करना पड़ता है और इमरजेंसी सेवाएं भी बाधित होती हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह बड़ा कदम उठाया है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने बताया कि इमरजेंसी तथा ट्रामा में आने वाले मरीजों के उपचार
एवं प्रबंधन व मरीजों की स्क्रीनिंग तथा सेग्रीगेशन किये जाने के संबन्ध में चिकित्सा शिक्षा मंत्री व टास्क फोर्स के सदस्यों की बैठक हुई है।
जिसमें पीजीआई और केजीएमयू के विशेषज्ञ भी सम्मिलित थे।
कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए प्रत्येक आकस्मिक वार्ड में मरीजों के प्रवेश के दौरान उनकी स्क्रीनिंग के निर्देश दिये हैं।
स्क्रीनिंग के बाद ही आकस्मिक सेवायें उपलब्ध करायी जायेगीं।
कोरोना संभावित मरीजों का अलग से पीपीई किट, एन-95 मास्क पहन कर परीक्षण किया जायेगा।
कोविड-19 के अनुसार ही ऐसे मरीजों के लिए अलग आईसीयू वार्ड, ओटी व डायलसिस मशीन भी चिन्हित किए जाएंगे।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने सभी मेडिकल कालेजों में इस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिये हैं।
इस प्रकार का इमरजेंसी माइक्रो मैनेजमेंट प्रोटोकाल की व्यवस्था लागू करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
सभी मेडिकल कालेजों के प्रधानाचार्यों को आकस्मिक सेवाओं में सम्भावित कोविड-19 मरीजों के स्क्रीनिंग तथा सेग्रीगेशन पर भारत सरकार की गाइड लाइन्स का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिये गये हैं।
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