
अशाेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा हटाने के चुनाव आयोग के आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि आखिर आयोग को यह अधिकार किसने दिया है?
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने कमलनाथ की याचिका की सुनवाई के दौरान आयोग को आड़े हाथों लिया।
आयोग की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने हालांकि मामले की सुनवाई के प्रारंभ में ही कहा कि मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार कल ही थम गया और मतदान होने वाला है।
ऐसे में कमलनाथ की याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए अब इस याचिका पर सुनवाई की जरूरत नहीं रही, लेकिन कमलनाथ की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसका पुरजोर विरोध किया।
सिब्बल ने कहा कि यह याचिका अब भी सुनवाई योग्य है क्योंकि आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ एक मामले में 30 अक्टूबर की शिकायत को बरकरार रखा है। खंडपीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई करेगी कि आयोग को इस तरह का आधार है अथवा नहीं?
न्यायमूर्ति बोबडे ने आयोग से कहा कि हम आपके आदेश पर रोक लगाते हैं और आपसे यह जवाब चाहते हैं कि आपको जन प्रतिनधित्व कानून की धारा 77 के तहत यह अधिकार किसने दिया कि किस पार्टी में कौन स्टार प्रचारक होगा और कौन कुछ और।
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