
बता दें कि पिछले साल उत्तराखंड कांग्रेस सरकार के बागी विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री और हाल में बीजेपी नेता विजय बुहुगुणा के नेतृत्व में स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा उन्हें विधानसभा से बर्खास्त करने के मामले को संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया था। उन्होंने कहा था गोविंद सिंह कुंजवाल अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए दंड मिलना चाहिए।
इससे पहले नैनीताल हाई कोर्ट ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता को अयोग्य बताने वाले विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराया था।
उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने इन विधायकों की सदस्यता दलबदल कानून के तहत रद्द कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को इन विधायकों ने नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के जज यूसी ध्यानी के पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फ़ैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
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