
अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को वर्ष 2015 के आधार पर आरक्षण लागू करने का आदेश दिया था लेकिन इसके खिलाफ शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता दलीप कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले पर विचार करने की मांग की है।
इस बीच, पंचायत चुनाव के लिए हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में नये सिरे से तय पदों के आरक्षण व आरक्षित सीटों के आवंटन की पहली सूची शनिवार को प्रकाशित होना शुरू हो गई। 22 मार्च तक चलने वाले सूची प्रकाशन के इस सिलसिले से ग्रामीण इलाकों में कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल है।
11 फरवरी को पंचायती राज विभाग की ओर से जारी शासनादेश में सीटों का जो आरक्षण तय हुआ था व तीन मार्च को जो पहली सूची जारी हुई थी उससे दावेदारों के समीकरण बदल गये थे। मगर 15 मार्च को 1995 के बजाय 2015 को आधार वर्ष मानने के हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने 17 मार्च को नया शासनादेश जारी किया। उसी शासनादेश के अनुपालन में शनिवार को जारी सूची ने भी पंचायतों के आरक्षण में फिर बदलाव कर दिया। गांव की सियासी सूरत बदली
अब तक की व्यवस्था के अनुसार 20 से 23 मार्च के बीच पहली सूची पर दावे व आपत्तियां दाखिल की जा सकेंगी। 24 से 25 मार्च के बीच उनका निस्तारण किया जाएगा। फिर अंतिम सूची तैयार की जाएगी। 26 मार्च को इस अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।
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