
अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव की सीटों पर आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना आदेश के दिया है। हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। इस पर न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने 25 मई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न कराने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने यूपी पंचायत चुनाव आरक्षण की फाइनल सूची जारी करने पर शुक्रवार को रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर अजय कुमार की जनहित याचिका हाईकोर्ट दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने आरक्षण की फाइनल सूची जारी करने पर रोक लगाई थी और आरक्षण की प्रक्रिया पर सरकार और राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा था।
आरक्षण को लेकर दायर की गई याचिका में 11 फरवरी 2021 के यूपी शासनादेश को चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है।
साथ ही कहा गया कि आरक्षण लागू किए जाने के संबंध में 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए थे, लेकिन 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए साल 1995 के बजाय साल 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किए जाने की प्रक्रिया अपनाई गई थी।
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