
अशाेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक संबंधी याचिका पर बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से जाने माने वकील प्रशांत भूषण की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
भूषण ने दलील दी कि यह बॉण्ड एक तरह का दुरुपयोग है जो शेल कंपनियां कालेधन को सफेद बनाने में इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि बॉण्ड कौन खरीद रहा है, यह सिर्फ सरकार को पता होता है। यहां तक कि चुनाव आयोग भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं ले सकता।
भूषण ने कहा कि यह एक तरह की करेंसी है और सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खरीदा जा चुका है। यह सत्ता में बैठे राजनीतिक दल को रिश्वत देने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि इसमें फर्जीवाड़े की बड़ी आशंका है। नोटबंदी के बाद यह व्यवस्था सरकार लायी, जिसका उपयोग कालेधन को खपाने में किया जा रहा है। सरकार के इस कदम का काफी विरोध हुआ है।
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