इस्लामाबाद: आतंकवाद की पनाहगाह पाकिस्तान का दोहरा चरित्र फिर बेनकाब हो गया है। कथनी व करनी में बड़ा फर्क रखने वाला पाक एक तरफ भारत के साथ शांति वार्ता शुरु करने की बात करता है और दूसरी तरफ भारत के आंतरिक मामले में दखल देने की कोशिश कर रहा है। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक से फोन पर बातचीत दौरान कश्मीर मुद्दे को हाइलाइट करने के इस्लामाबाद के प्रयासों को लेकर चर्चा की। नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने कुरैशी द्वारा एक अलगाववादी नेता को फोनकर बात करने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारुख को फोन कर बताया कि किस तरह पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है।
भारत ने इसका सख्त विरोध किया करते हुए कहा है कि इससे पाकिस्तान के दोहरे चरित्र का पता चलता है। पाकिस्तान मिली सूचनाओं से पता चला है कि कुरैशी ने पाक सेना के सामने अपने आपको पीएम इमरान खान से ज्यादा करीबी साबित करने की कोशिश में यह फोन किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस टेलीफोन वार्ता के बारे में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है कि जिसमें कहा गया है कि भारत को कश्मीर में यूएन के मानवाधिकार आयुक्त को आने की इजाजत देनी चाहिए। इसमें यूएन के साथ ही ब्रिटिश संसद की तरफ से 2018 में जारी एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है ।
जिसमें कश्मीर में मानवाधिकार के हालात पर गंभीर चिंता जताई गई है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। भारत में हिंसा भड़काने के लिए भी वह आतंकियों को भेजने के साथ ही हर तरह की तरकीब इस्तेमाल कर रहा है। वह जिस कश्मीर की बात करता है उसके लोगों के खून से ही उसके हाथ रंगे हुए है। कुरैशी ने जिस तरह से कश्मीरी अलगाववादी नेता से बात करने की कोशिश की है उससे साफ है कि वह शांति की जो बात करता है वह सिर्फ दिखावा है।
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