
अशाेक यादव, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि किसान अपनी खेती बचाने के लिए जीवन-मरण की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों की बात सुनने के बजाय उनके रास्ते में लोहे के जाल, कील कांटे और लोहे की दीवारें खड़ी की जा रही है। सरकार और किसान के बीच में यह विभाजन रेखा खींचना देश और लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि कैसी विडम्बना है कि देशवासियों का पेट भरने वाला अन्नदाता किसान आज भाजपा द्वारा लांछित और अपमानित किया जा रहा है। उसे आतंकवादी बताकर उससे निबटने की वैसी ही तैयारियां की जा रही है, जैसी सीमा क्षेत्र में बाड़ लगाकर की जाती है।
किसान कोई बड़ी मांग नहीं कर रहे है। वे केवल तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बनाने की मांग कर रहे है। सरकार इन्हें मानने के बजाय दूसरे विकल्प सुझा रही है जो किसानों को अमान्य है। किसान जान रहे है कि उनकी खेती बंधक बन जाएगी, उनका स्वामित्व खत्म हो जाएगा और उनको अपनी फसल व्यापारियों की मर्जी पर उनकी तय कीमत पर बेचनी पड़ेगी।
आज किसान से लेकर नौजवान तक अपने को ठगा महसूस कर रहे है। समाजवादी पार्टी गांव-गांव में जाकर भाजपा सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों का पर्दाफाश करती रहेगी और जनसंवाद, जनसम्पर्क के माध्यम से किसानों के पक्ष में जनजागरण करेगी।
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