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गन्ना विभाग की पंचामृत योजना से गन्ने की खेती कर जमीन से सोना उगा रहे प्रदेश के युवा गन्ना किसान : भूसरेड्डी

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम में गन्ना खेती को उद्यमिता से जोड़ने तथा युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा “युवा गन्ना किसान संवाद कार्यक्रम” का आयोजन पाक्षिक रूप से आयोजित कराया जा रहा है। इसी क्रम में मुरादाबाद परिक्षेत्र के युवा पुरूष एवं महिला गन्ना किसानों के साथ अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग श्री संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में ऑनलाईन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि गन्ना विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही पंचामृत योजना” से प्रदेश में गन्ना उत्पादन एवं चीनी परता में वृद्धि उत्पादन लागत में कमी एवं कृषकों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये विभाग द्वारा इस दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के शिक्षित युवा गन्ना किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं तथा अपनी आय में भी वृद्धि कर रहे हैं। गन्ने की खेती के लिये ट्रेंच प्लांटिंग, सहफसली, रैटून मैनेजमेण्ट, ट्रैश मल्चिंग एवं ड्रिप सिंचाई जैसी नवीन तकनीके गन्ना किसानों के लिये “”पंचामृत” साबित हो रही है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदेश के गन्ना किसान पंचामृत विधि को अपनाकर न केवल नैसर्गिक सम्पदा को ही बचा रहे हैं, बल्कि पेस्टिसाइड दवाओं एवं रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम कर मिट्टी की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ा रहे हैं, जिससे किसानों पर लेबर क्षमता का भी भार कम हो रहा है। उन्होंने युवा किसानों को फार्म मशीनरी बैंक योजना का अधिकाधिक लाभ लेने हेतु प्रेरित किया। साथ ही यह भी कहा कि विभाग द्वारा संचालित राज्य गन्ना प्रतियोगिता एवं उत्कृष्ट कार्य योजना से जुड़कर युवा गन्ना किसान राज्य स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर सकते है।

संवाद कार्यक्रम में प्रदेश के युवा गन्ना किसानों ने अपने अनुभव साक्षा करते हुए कहा कि कोविड महामारी की समस्या से उत्पन्न बेरोजगारी के दंश को झेल रहे शिक्षित युवा गन्ना किसानों ने सहफसली एवं आर्गेनिक खेती को अपनाकर अपने आपको आत्मनिर्भर बनाया है तथा आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया है। अफजलगढ़, बिजनौर के विक्रम शर्मा जो पेशे से वकील होने के साथ ही आर्गेनिक खेती के माध्यम से नींबू, अमरूद तथा लाही की खेती कर लाभ प्राप्त करते हैं। इसी कड़ी में धामपुर, बिजनौर के इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके किसान ऋतुराज ने बताया कि उनके द्वारा पंचामृत योजना एवं प्राकृतिक खेती करते हुए गन्ने के खेत में ड्रैगन फूट के साथ-साथ सरसों, गेहू, लहसुन, अदरक, लाल केला, काली हल्दी, काला चावल प्याज एवं अन्य सहफसली खेती कर नया मुकाम हासिल किया गया है। धामपुर के ही लक्ष्य त्यागी ने बताया कि उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई कर फिल्म जगत से भी कई वर्षो तक जुड़ने के पश्चात् कोविद्ध विभीषिका के दौरान लॉकडाउन अवधि में पंचामृत योजना का लाभ लेते हुए गन्ने की खेती के साथ-साथ मूंगफली, सरसों, दाल, गुड़, गाजर, सिरका की पैदावार करते हुए उसी भूमि पर अन्य सहफसली खेती का भी लाभ प्राप्त रहे हैं।

नजीबाबाद के नवजोत ने प्रदेश की नई पीढ़ियां जो खेती से विमुख होकर बाहर जा रही हैं, उनसे टिश्यू कल्चर से प्लाटिंग कर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि युवा गन्ना किसान गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीकी के प्रयोग को अपनाकर अन्य फसलों के उत्पादन के साथ ही घरेलू आवश्यकता एवं स्थानीय बाजार की मांग की पूर्ति के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा की भी पूर्ति कर सकते हैं। रामपुर के ग्रेजुएट कर चुके पवनदीप सिंह ने एकीकृत कीट रोग प्रबन्धन पर उन्होंने फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत नये कृषि यंत्रों कोजोड़ने का अनुरोध किया। रामपुर के कृषक अमन ने सहफसली खेती के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह गन्ने के साथ शतावर और स्ट्राबेरी एवं बसन्तकालीन गन्ना बुवाई में मिर्च और टमाटर, प्याज के साथ मक्के की भी खेती करते हैं। सम्भल के जितेन्द्र ने गन्ना विभाग की प्राकृतिक खेती की सराहना करते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से भूमि एवं जल का संरक्षण किया जा सकता है।

अमरोहा के संजीव कुमार ने सहफसली खेती के माध्यम से नवीन तकनीकी को अपनाकर खीरा एवं तोरई का उत्पादन कर अपनी आय में वृद्धि करते हैं। चांदपुर बिजनौर की महिला गन्ना किसान श्रीमती डोली यादव ने बताया कि गन्ने की प्राकृतिक खेती कर रही हैं। साथ ही पशुपालन करते हुए जीवामृत और बीजामृत आदि का प्रयोग करके बिना रासायनिक खाद एवं दवाओं का उपयोग किये गन्ने की खेती कर रही हैं। चन्दनपुर अमरोहा की श्रीमती रूबी ने गन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ- साथ पशुपालन को अपनाने की बात कही ।
अगवानपुर मुरादाबाद की महिला किसान श्रीमती गायत्री ने ट्रेंच विधि पर अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह अधिक गन्ने का उत्पादन करने के साथ ही सिरके का उत्पादन कर रू. 80 प्रति लीटर विक्रय का लाभ अर्जित कर रही हैं।

संवाद कार्यक्रम के दौरान अपर मुख्य सचिव ने मुरादाबाद परिक्षेत्र के किसानों को मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि करने हेतु यह भी बताया कि वर्तमान में लोग पोल्ट्री फार्मिंग काफी संख्या में कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप पोल्ट्री बीट की भी उपलब्धता स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो तो किसान भाई इसे भी आर्गेनिक मेन्योर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त कृषि से संबंधित ज्ञान-विज्ञान की परिचर्चा की तथा युवा गन्ना कृषकों से यह भी अपील की कि किसान भाई-बहन अन्तर संवाद कार्यक्रम के माध्यम से अपने परिषद, जनपद, मण्डल में एक-दूसरे से अपने अनुभव तथा ज्ञान को भी साझा करें। युवा संवाद कार्यक्रम में उपस्थित अपर चीनी आयुक्त श्री शिव सहाय अवस्थी द्वारा भी अपने विचार रखते हुए संवाद कार्यक्रम को एक सीरीज का हिस्सा बताया और कहा कि युवा गन्ना किसानों एवं महिलाओं में नये भाव का आत्म संचार हुआ है तथा गन्ने की खेती से संबंधित जानकारी भी प्राप्त हो रही है, जिससे महिलायें सशक्तीकरण की ओर भी बढ़कर रोजगार के अवसर प्राप्त कर रही है। अपर गन्ना आयुक्त (विकास) वी. के शुक्ल द्वारा युवा गन्ना किसान कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन किया गया।

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