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बीबीएयू में काकोरी शताब्दी वर्ष पर आयोजित ’19वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल’ में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में गुरुवार 7 अगस्त को इतिहास विभाग, बीबीएयू एवं महुआ डाबर म्यूजियम के संयुक्त तत्वावधान में काकोरी शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित ’19वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल’ के दूसरे दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी के लिए विशेष व्यक्तव्य सत्र आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर मुख्य वक्ता के तौर पर श्री संजय मिश्रा, मुम्बई से आये फिल्म डायरेक्टर प्रो. मोहन दास, इतिहास विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष प्रो. वी.एम. रवि कुमार एवं प्रसिद्ध तकनीकी विशेषज्ञ श्री आशीष अग्रवाल उपस्थित रहे। सर्वप्रथम आयोजन समिति की ओर से मंचासीन अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं पौंधा भेंट करके उनका स्वागत किया गया। इसके पश्चात प्रो. वी.एम. रवि कुमार ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया और सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य डॉ. सुदर्शन चक्रधारी द्वारा किया गया।

मुख्य वक्ता संजय मिश्रा ने अपने संबोधन में काकोरी कांड का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए बताया कि यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक क्रांतिकारी मोड़ थी, जिसने न केवल ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी, बल्कि देशभर के नागरिकों को भी झकझोर कर रख दिया। इन्होंने बताया कि राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे वीर सपूतों ने जिस साहस, संगठन और देशभक्ति का परिचय दिया, उसने देशवासियों में आज़ादी के प्रति नया जोश और आत्मबल भरा। यह घटना देश के नौजवानों के लिए प्रेरणा बन गई और ब्रिटिश शासन की जड़ें हिलाने वाली क्रांतिकारी चेतना की लहर फैल गई।

डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने अपने उद्बोधन में काकोरी एक्शन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त 1925 को घटित यह घटना केवल एक क्रांतिकारी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह राष्ट्रभक्ति, साहस और संगठन की अद्भुत मिसाल थी, जिसने समूचे देश को झकझोर कर रख दिया। हमारे भारतीय वीरों ने जिस अदम्य साहस और त्याग का परिचय दिया, वह आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। प्रो. बाबू ने युवाओं का आह्वान किया कि वे देशहित को सर्वोपरि मानते हुए समाज और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाएं। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास केवल पढ़ने की नहीं, उससे सीख लेने की चीज है, और काकोरी एक्शन जैसी घटनाएँ हमें सिखाती हैं कि देश की आज़ादी और गरिमा की रक्षा के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करना ही सच्ची देशभक्ति है।

प्रो. मोहन दास ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सिनेमा, विशेष रूप से देशभक्ति पर आधारित फिल्मों ने जनमानस को जागरूक करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय जब समाचार माध्यम सीमित थे, तब फिल्मों के माध्यम से देश की जनता तक स्वतंत्रता आंदोलन की भावना और क्रांतिकारियों के बलिदान की कहानियाँ प्रभावी ढंग से पहुँचाई गईं। फिल्मों ने केवल मनोरंजन का साधन न होकर सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय जागरण का माध्यम बनकर काम किया।  प्रो. मोहन दास ने यह भी कहा कि आज के समय में भी सिनेमा राष्ट्र निर्माण और सामाजिक परिवर्तन का प्रभावी औजार बन सकता है, यदि उसका प्रयोग सकारात्मक दिशा में किया जाए ! इसके अतिरिक्त आशीष अग्रवाल ने फिल्मों से संबंधित तकनीकी पहलुओं पर अपने विचार रखे। 

इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों से आये विद्यार्थियों के लिए नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त देश- विदेश से आयी फिल्मों की स्क्रीनिंग भी की गयी।

अंत में डॉ. आनंद प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, महुआ डाबर म्यूजियम के अधिकारी एवं कर्मचारी, शोधार्थी एवं विभिन्न विद्यालयों एवं बीबीएयू के विद्यार्थी मौजूद रहे।

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