
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन को सदन में उनके अशोभनीय आचरण के लिए राज्यसभा के मौजूदा सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को शांतनु सेन के निलंबन की घोषणा की। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को हुई घटना का जिक्र किया और इसे अशोभनीय बताया।
गौरतलब है कि गुरुवार को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव इजराइली पेगासस के जरिए भारतीयों की कथित जासूसी के मुद्दे पर सदन में बयान दे रहे थे। उसी दौरान, तृणमूल कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल के सदस्य हंगामा करते हुए आसन के समीप आ गए और नारेबाजी करने लगे।
इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन ने केंद्रीय मंत्री के हाथों से बयान की प्रति छीन ली और उसके टुकड़े कर हवा में लहरा दिया। उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से असंसदीय व्यवहार ना करने का अनुरोध किया था लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन को निलंबित किए जाने के विरोध में हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक शुक्रवार को 11 बजकर करीब 25 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे के कारण सदन में आज भी शून्यकाल नहीं हो पाया।
बैठक शुरू होने पर सभापति ने इस पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद अब तक केवल कोविड-19 महामारी के मुद्दे पर चार घंटे की चर्चा हो पाई है और इसके अलावा कोई अन्य कामकाज हंगामे की वजह से नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की विभीषिका के बीच यह सत्र आयोजित हुआ है और जनता से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जानी है। सभापति ने बृहस्पतिवार को हुई घटना का जिक्र किया और इसे अशोभनीय बताया। सभापति ने कहा कि कल जो कुछ हुआ, निश्चित रूप से उससे सदन की गरिमा प्रभावित हुई।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कल की घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद नायडू ने सेन को सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने की घोषणा की। इस पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति जताई और हंगामा शुरू कर दिया।
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