
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में शुक्रवार 15 अगस्त को परीक्षा अनुभाग की ओर से ‘मेधावी विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इसके अतिरिक्त मुख्य तौर पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू एवं कार्यवाहक परीक्षा नियंत्रक डॉ. अनिल कुमार यादव मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से कुलपति एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। सर्वप्रथम डिप्टी डीएसडब्ल्यू डॉ. तरूणा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लेते हुए विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों, इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्लेसमेंट की व्यवस्था, प्रयोगशालाओं (लेबोरेटरी) की सुविधाओं, पुस्तकालय के संसाधनों सहित विभिन्न शैक्षणिक एवं सह-पाठ्यचर्या संबंधी विषयों पर अपने प्रश्न एवं सुझाव प्रस्तुत किये ।

विश्वविद्यालय में आयोजित संवाद एवं विचार-विमर्श कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा उठाए गए सभी प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने अत्यंत धैर्यपूर्वक एवं विस्तार से किया। इस सत्र के दौरान कुलपति जी ने विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों, अधोसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर), प्लेसमेंट व्यवस्था, प्रयोगशालाओं की सुविधाओं तथा पुस्तकालय के संसाधनों सहित अनेक शैक्षणिक और सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों से संबंधित प्रत्येक विषय पर स्पष्ट एवं विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए विद्यार्थियों को यह भरोसा दिलाया कि विश्वविद्यालय उनके सर्वांगीण विकास, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और उत्कृष्ट शोध के अवसर प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रो. मित्तल ने कहा कि विद्यार्थियों के सुझाव एवं विचार न केवल स्वागत योग्य हैं, बल्कि उन्हें भविष्य की योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया जाएगा, ताकि विश्वविद्यालय की प्रगति में विद्यार्थी सक्रिय रूप से योगदान दे सकें।
प्रो. मित्तल ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए यह संदेश दिया कि वे केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि अपने व्यक्तित्व, कौशल और दृष्टिकोण को भी विकसित करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने ‘कम्फर्ट ज़ोन’ से बाहर निकलकर नई चुनौतियों का सामना करना चाहिए, क्योंकि जीवन में वास्तविक प्रगति वही करता है जो साहस और धैर्य के साथ कुछ नया करने का प्रयास करता है। कुलपति ने यह भी कहा कि ज्ञान किसी एक स्थान या समय तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह कभी भी और कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि वे सीखने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखें, अपने ज्ञान का विस्तार करें और उसे व्यावहारिक जीवन में लागू करें। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे उत्कृष्ट कार्य करके न केवल स्वयं का, बल्कि अपने परिवार, समाज और विश्वविद्यालय का नाम भी उज्ज्वल करें। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि यदि विद्यार्थी समर्पण, परिश्रम और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे, तो वे निश्चित रूप से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर समाज में एक प्रेरणास्रोत बनेंगे।

डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की शक्ति है। इसीलिए प्रत्येक चुनौती को स्वीकार करते हुए निरंतर ज्ञान अर्जित करते रहना चाहिए।
समस्त कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह, प्रॉक्टर प्रो. एम.पी. सिंह, डीएसडब्ल्यू प्रो. नरेंद्र कुमार, प्रो. शिल्पी वर्मा, डॉ तरूणा, अन्य शिक्षकगण एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।