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सारनाथ हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर, विश्व धरोहर सूची में शामिल होना गौरव : जयवीर सिंह

अनुपूरक न्यूज एजेंसी, लखनऊ : उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने वाराणसी स्थित विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्थल सारनाथ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की दिशा में अपनी तैयारी तेज कर दी है। इस संबंध में शुक्रवार लखनऊ स्थित पर्यटन निदेशालय में पर्यटन विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में आगामी सितंबर माह में होने वाली यूनेस्को की बैठक के एजेंडे और प्रस्तावित कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा हुई।

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि ‘सारनाथ हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करना पूरे विश्व के लिए भारत की विरासत को निकट से जानने का अवसर प्रदान करेगा। सारनाथ को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिलने से न केवल इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी बल्कि पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षण मिलेगा। उन्होंने इस बैठक के लिए पर्यटन विभाग एवं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि अब तक उत्तर प्रदेश में तीन विश्व धरोहर पर्यटन स्थल हैं। सारनाथ को युनेस्कों की सूची में शामिल होने से उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से विश्व मानचित्र पर स्थान बनायेगा, जो प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी।

बैठक के उपरान्त एएसआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह से भेंट की। उन्होंने अब तक की प्रगति और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। ज्ञात हो कि, भारत ने 2025-26 नामांकन चक्र के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची के लिए प्राचीन बौद्ध स्थल सारनाथ को आधिकारिक रूप से नामांकित किया है। उत्तर प्रदेश में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थायी सूची में अब तक केवल ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी शामिल हैं। तीनों विश्व धरोहर आगरा में स्थित हैं।

सारनाथ को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने के संबंध में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने विस्तार से चर्चा की। इस दौरान बीते डेढ़ साल की प्रक्रिया, पारिस्थितिकी, सतत पर्यटन विकास, इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई। वाराणसी में एक बैठक स्टेक होल्डर्स, स्थानीय समुदायों के साथ आयोजित करने पर सहमति बनी।

बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन ने कहा कि पर्यटकों को ध्यान में रखकर सारनाथ, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, संकीसा, कुशीनगर और कौशांबी तक बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई है। सारनाथ आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए कुशीनगर और वाराणसी में एयरपोर्ट की भी व्यवस्था की गई है। नेपाल से सटे होने के कारण वहां से भी बड़ी संख्या में बौद्ध श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक यदुवीर सिंह रावत, अतिरिक्त महानिदेशक जाह्नवीज शर्मा ने भी अपने विचार रखे और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की।

यूनेस्को की सूची में किसी भी स्थल को शामिल करने के लिए संबंधित स्थल का मानव रचनात्मक प्रतिभा की उत्कृष्ट कृति होना आवश्यक है। इसके अलावा प्रौद्योगिकी या वास्तुकला के विकास की कहानी वाला स्थल, मानव इतिहास के उल्लेखनीय चरणों का प्रतिनिधित्व करती इमारत सहित अलग-अलग बिंदुओं की कसौटी पर खरा उतरना होता है। यूनेस्को की लंबी प्रक्रिया के बाद स्थल को अस्थायी और फिर स्थायी सूची में शामिल किया जाता है।

बैठक में विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया, निदेशक पर्यटन (इको) प्रखर मिश्रा, लखनऊ एएसआई प्रभारी आफताब हुसैन सहित पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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