
मन धन वाणी कर्म से, ससम्मान समर्पित है।
हर बहिनों को इस भाई का, स्नेह प्रेम सब अर्पित है।।
यह बंधन बंधुत्व का है,
दिलों के मिलन का है।
यह रक्षाबंधन हृदय की,
निकटता के अहसास का है।।
यह बंधन निष्कलंकित प्रेम,
के आवेग का है ।
मात्रवत बहिनों के, निष्छल प्रेम का है। ।
यह बंधन उन स्मृतियों को,
सहेजने का है।
यह बंधन भूलचुके रिश्तों की,
नवीनता का है।।
यह बंधन भाई बहन के,
रिश्ते की अमिटता का है।
यह बंधन भाई की पत्नी,
व बच्चों से निकटता का है।।
यह बंधन खो चुके, माता पिता,
की यादों को सजाने का है।
यह बंधन बदल चुके,
बाग बगीचों को जगाने का है। ।
यह बंधन उन हसीं खेली,
यादों में जीने का है।
यह भाभी जी को,
मां का दर्जा देने का है।।
यह रक्षा की कामना है,।
यह प्रेम की भावना है ।।
यह उल्लास है, उत्साह है ।
हर बहन -भाई के,
पवित्र रिश्तों का विश्वास है।।

09-08-2025
यह स्वनिर्मित, मौलिक उद्गार है।
कविता नही है, बस भावनाओं का ज्वार है।।