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राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संघ ने नारी सशक्तिकरण के जश्न के रूप में मनाई 50वीं स्वर्ण जयंती

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, जयपुर : राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संघ ( रूवा ) ने गुरुवार अपने 50 वर्षों के समर्पित कार्यों और नारी स्वाभिमान की अमिट छाप के साथ स्वर्ण जयंती समारोह का भव्य आयोजन किया। राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण और संगठनात्मक एकता की भावना को समर्पित कई प्रेरक क्षण देखे गए।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. सैयदा हामिद ने मशहूर शायर अली अहमद जलीली का प्रभावशाली शेर पढ़ा :

“किनारों से मुझे ऐ ना-ख़ुदाओ दूर ही रखो,
वहाँ ले कर चलो तूफ़ाँ जहाँ से उठने वाला है।”

इस शेर के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को सीमाओं से बाहर निकल कर बदलाव के तूफानों का सामना करने का संदेश दिया। उन्होंने शायरी और ग़ज़ल के जरिए ‘मीठी निगाह’ और समानुभूति की दृष्टि से समाज को देखने की प्रेरणा भी दी। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डॉ. माया टंडन ने रूवा को आशीर्वाद और शुभकामनाएं देते हुए संगठन की उपलब्धियों की सराहना की।
कार्यक्रम की अध्‍यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अल्पना कटेजा ने अपने प्रेसिडेंशियल रिमार्क्स में कहा,
“पिछले पचास वर्षों में रूवा ने न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की है, बल्कि उन्हें सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक क्षेत्रों में आगे बढ़ाने का भी काम किया है। यह संगठन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और समाज में समान स्थान दिलाने की दिशा में लगातार अग्रसर रहा है।

रूवा अध्यक्ष डॉ. शशि लता पुरी ने संगठन की 50 वर्षों की यात्रा और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जबकि पूर्व अध्यक्ष प्रो. लाड़ कुमारी जैन ने इस ऐतिहासिक सफर पर विस्तृत प्रस्तुति दी। साथ ही, ‘शक्ति’ स्वर्ण जयंती विशेषांक एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की कार्यवाही का लोकार्पण भी किया गया।

कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। “दरिया की कसम” आंदोलन गीत, “शक्ति स्तंभ” की महिलाओं के रंगारंग कार्यक्रम और “शक्ति गीत” की प्रस्तुति ने नारी शक्ति का जादू बिखेरा।रूवा की यह स्वर्ण जयंती न केवल एक जश्न थी, बल्कि महिला सशक्तिकरण के निरंतर प्रयासों का प्रतीक भी बनी।

राजस्थान विश्वविद्यालय महिला संघ (रूवा) द्वारा स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन अत्यंत गरिमापूर्ण और प्रेरणादायक वातावरण में संपन्न हुआ। यह विशेष अवसर रूवा की 50 वर्षों की समर्पित यात्रा, महिला सशक्तिकरण और संगठनात्मक एकता के प्रति प्रतिबद्धता को समर्पित रहा।

समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. सैयदा हामिद तथा विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डॉ. माया टंडन की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की। समारोह का आरंभ “रूवा गीत” की सामूहिक प्रस्तुति से हुआ, जिसने महिलाओं की शक्ति, एकता और संघर्ष की भावना को जीवन्त कर दिया।

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