
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में गुरुवार 9 अक्टूबर को मानवाधिकार विभाग की ओर से ‘भारत में सतत ग्रामीण विकास की समस्याएँ और चुनौतियाँ ‘ विषय पर एकदिवसीय हाइब्रिड कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला भारतीय आर्थिक संघ ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश सामाजिक विज्ञान अकादमी तथा प्रो. एच. एस. श्रीवास्तव फाउंडेशन फॉर सोशल साइंसेज के संयुक्त सहयोग से आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में प्राध्यापकों, विद्यार्थियों एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, झारखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आर.एल. सिंह उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मुख्य तौर पर आई.ई.ए. ट्रस्ट के चेयरपर्सन एवं बीबीएयू से सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. एन.एम.पी. वर्मा, राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा एवं कार्यक्रम संयोजक और मानवाधिकार विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष प्रो. शशि कुमार उपस्थित रहे। मंच संचालन का कार्य डॉ. डॉली सिंह द्वारा किया गया।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत@2047” की परिकल्पना को साकार करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र को सुदृढ़ आधारभूत संरचना के माध्यम से मजबूत करना आवश्यक है।
मुख्य अतिथि एवं नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, झारखंड के पूर्व कुलपति प्रो. आर.एल. सिंह ने कहा कि भारत में सतत ग्रामीण विकास सुनिश्चित करने और देश को वास्तव में विकसित राष्ट्र बनाने के लिए मिलकर करना होगा।
राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा ने अपने व्याख्यान में कहा कि देश में पिछले कई दशकों में वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण प्रगतियाँ हुई हैं।
कार्यशाला संयोजक प्रो. शशि कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा गाँवों के विकास हेतु अनेक ग्रामीण विकास योजनाएँ लागू की गई हैं। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक, अधिकारीगण, शोधार्थी, प्रतिभागी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।