लखनऊ/नई दिल्ली : NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के मुद्दे पर देशभर के राजनीतिक दलों में हलचल मची हुई है. सरकार ने मंगलवार को कहा कि अवैध प्रवासी बिना वैध दस्तावेजों के चोरी-छिपे देश में प्रवेश करते हैं इसलिए उनका सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है. गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में राकेश सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अवैध प्रवासी बिना वैध दस्तावेजों के चोरी-छिपे और गुप्त रूप से देश में प्रवेश करते हैं. इसलिए बांग्लादेशी प्रवासियों समेत देश में रह रहे ऐसे अवैध प्रवासियों का सटीक अनुमान लगाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ अवैध प्रवासियों द्वारा फर्जी तरीके से पहचान पत्र हासिल करने के कतिपय मामलों की सूचनाएं मिली हैं. चूंकि मामले राज्यों के तहत आते हैं इसलिए केंद्रीय रूप से आंकड़े नहीं रखे जाते हैं. रिजिजू ने यह भी कहा कि बांग्लादेशियों समेत अवैध घुसपैठियों का निर्वासन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.

सीमाओं की 24 घंटे निगरानी के प्रयास- रिजिजू
रिजिजू ने कहा कि अवैध प्रवासियों के आगमन को रोकने के लिए सरकार ने कई पहलें की हैं. जिनमें सीमा सुरक्षा बल द्वारा सीमाओं की 24 घंटे निगरानी करके सीमा पर प्रभावी प्रभुत्व स्थापित करना, सीमा पर बाड़ एवं सड़कों का निर्माण तथा तेज रोशनी की व्यवस्था, सीमा पर प्रभुत्व के लिए अंतर सीमा चौकी की दूरी को कम करने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा पर और सीमा चौकियों की स्थापना तथा नाइट नैविगेशन उपकरणों समेत उन्नत निगरानी उपकरण लगाना शामिल है. गौरतलब है कि NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के मुद्दे पर मंगलवार को संसद में जमकर हंगामा हुआ. यह हंगामा इतना बढ़ गया कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का मौका ही नहीं मिला. हंगामे को देखते हुए राज्यसभा की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई.
शाह ने उठाए विपक्ष की मंशा पर सवाल
सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन में उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष सरकार से सवाल तो करता है, लेकिन वह उस सवाल पर सरकार का पक्ष नहीं सुनना चाहता. उन्होंने कहा कि विपक्ष की यह सोची-समझी साजिश है. कांग्रेस संसद में देश के विकास पर चर्चा नहीं होने देना चाहती. उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों से देश में NRC के ऊपर बहस चल रही है और यह कहा जा रहा है कि 40 लाख भारतीय नागरिकों को अवैध घोषित कर दिया गया है जबकि, वास्तविकता है कि प्राथमिक जांच होने के बाद जो भारतीय नहीं हैं उनके नाम NRC से हटाए गए हैं.
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