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पूर्वोत्तर रेलवे : उप्र, उत्तराखंड एवं बिहार के सेवित क्षेत्र, पर्यटन एवं ऐतिहासिक विरासत की दृष्टि से बहुत समृद्ध हैं !

सिद्धार्थनगर रेलवे स्टेशन

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, गोरखपुर/ वाराणसी / लखनऊ : पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा सेवित क्षेत्र पर्यटन एवं ऐतिहासिक विरासत की दृष्टि से बहुत ही समृद्ध हैं। पूर्वोत्तर रेलवे जो कि यात्री प्रधान रेलवे है; उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा बिहार की जनता को विश्वसनीय एवं किफायती रेल परिवहन सुविधा उपलब्ध कराकर इस क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
पूर्वोत्तर रेलवे प्रमुख पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक केंद्रों से गुजरती है; जिनमें प्रयागराज, वाराणसी, सारनाथ, कुशीनगर, गोरखपुर, मगहर, स्वामी नारायण छपिया, लुम्बिनी, श्रावस्ती, बहराइच, अयोध्या, लखनऊ तथा मथुरा आदि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त यह प्रकृति के नैसर्गिक विविधताओं से युक्त पर्वतीय क्षेत्र; जैसे- नैनीताल, कौसानी, अल्मोड़ा, रानीखेत के लोकप्रिय रमणीय पर्वतीय स्थलों तथा जिम कार्बेट एवं दुधवा राष्ट्रीय उद्यान जाने वाले पर्यटकों को रेल यात्रा सुविधा उपलब्ध कराती है।

बलरामपुर रेलवे स्टेशन

पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा सेवित पर्यटन स्थलों में से अनेक पर्यटन स्थल महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित हैं। इसमें गोंडा-बढ़नी-गोरखपुर रेल खंड पर स्थित सिद्धार्थ नगर रेलवे स्टेशन से लगभग 35 किमी. दूरी पर स्थित लुम्बिनी में राजकुमार सिद्धार्थ (गौतम) का जन्म हुआ था। यहां अशोक स्तम्भ, गौतम बुद्ध की माँ का महादेवी मन्दिर, एक पुराने मठ के अवशेष तथा कुछ नये स्तूप यहाँ पर देखने योग्य हैं। सिद्धार्थनगर, शाक्य वंश की प्राचीन राजधानी कपिलवस्तु (पिपरहवा) पहुँचने हेतु निकटतम रेलवे स्टेशन भी है। सिद्धार्थनगर स्टेशन को अमृत स्टेशन योजना के अन्तर्गत लगभग रू. 11 करोड़ की लागत से पुनर्विकसित किया गया है। रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस स्टेशन को उन्नत तथा अति आधुनिक यात्री सुख-सुविधाओं से लैस किया गया है। स्टेशन भवन का निर्माण स्थानीय वास्तुकला एवं संस्कृति को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

गोरखपुर जं. रेलवे स्टेशन से 55 किमी. उत्तर-पूर्व में सड़क मार्ग पर कुशीनगर स्थित है। इसी स्थान पर गौतम बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। यहाँ अनेक बौद्ध मन्दिर हैं। आधुनिक बर्मीज मन्दिर में भगवान बुद्ध की संगमरमर, कांस्य एवं लकड़ी की खूबसूरत तीन प्रतिमायें हैं। यहाँ एक पुस्तकालय भी है, जिसमें विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें उपलब्ध हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के बड़ी लाइन खंड पर स्थित गोरखपुर जं. एवं पडरौना निकटतम रेलवे स्टेशन हैं, जहाँ से कुशीनगर पहुँचा जा सकता है।
सारनाथ के प्रसिद्ध बौद्ध अवशेष पूर्वोत्तर रेलवे के सारनाथ रेलवे स्टेशन के निकट हैं। इसकी पहचान मृगदाव या हिरणपार्क से होती है। वर्षों की तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होने पर यहीं पर अपने पाँच शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया और यहीं से धर्मचक्र प्रवर्तन आरम्भ कराया। सम्राट अशोक ने यहाँ कई स्तूपों का निर्माण कराया। पुरातात्विक संग्रहालय में भारत सरकार का राष्ट्र चिन्ह अशोक स्तम्भ जो कि खुदाई में मिलने के बाद यहाँ रखा गया है और इसमें अनेक बौद्ध स्थापत्य के नमूने प्रदर्शित किये गये हैं। यहाँ पर चीनी मंदिर, जैन मंदिर तथा तिब्बत मंदिर आदि अन्य दर्शनीय स्थल हैं।

प्राचीन कौशल राज्य की राजधानी श्रावस्ती, गोंडा-बढ़नी बड़ी लाइन रेल खंड पर स्थित बलरामपुर रेलवे स्टेशन से 29 किमी. दूर स्थित है। यह नगर वर्तमान में सहेत-महेत या टॉप्सी-टर्वी टाउन के नाम से जाना जाता है। भगवान बुद्ध ने यहीं पर अपने जीवन के 24 वर्षाकाल व्यतीत किये। सहेठ-महेठ दो अलग-अलग स्थल हैं, जो कि एक दूसरे से 01 किमी. की दूरी पर स्थित हैं। सहेठ का सम्बन्ध जैतवन के अवशेषों से है जबकि महेठ श्रावस्ती के अवशेषों से सम्बद्ध है। महेठ में अंगुलिमाल का विशाल स्तूप तथा सुदत्त का स्तूप दर्शनीय है। गोण्डा-गोरखपुर लूप लाइन रेल खंड पर स्थित बलरामपुर रेलवे स्टेशन पूर्वोत्तर रेलवे का एक प्रमुख स्टेशन है। जिसे ‘अमृत स्टेशन योजना‘ के अन्तर्गत रू. 11.98 करोड़ की लागत से आधुनिक सुख-सुविधा युक्त तथा स्थानीय वास्तुकला एवं संस्कृति के अनुरूप स्टेशन भवन को विकसित किया गया है।

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