
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (उ.प्र. रेरा) द्वारा विधिक एवं न्यायिक कार्यों में सहयोग हेतु प्रतिभाशाली अधिवक्ताओं को लॉ क्लर्क कम रिसर्च असिस्टेंट (LCRA) तथा लॉ कन्सल्टेन्ट (LC) के रूप में समयबद्ध अवधि के लिए अनुबंधित किया जाता है। इनकी भूमिका न केवल विधिक शोध तक सीमित रहती है, बल्कि पीठों और प्रभागों के न्यायिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करना होता है।
अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में रेरा में विधिक क्षमताओं के विकास को निरंतर सुदृढ़ किया जा रहा है। उनके निर्देशन में प्रत्येक शनिवार अपराह्न 4:00 बजे लॉ ग्रेजुएट्स, बेंच स्टाफ तथा वरिष्ठ अधिकारियों को विधिक प्राविधानों, न्यायालयीन प्रक्रियाओं एवं रेरा से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। यह अभ्यास न केवल ज्ञानवर्धक होता है बल्कि संस्थागत दक्षता को भी मजबूती प्रदान करता है।
इसी क्रम में, “Different Forums of Debt Recovery (Insolvency) with regard to their Pecuniary & Concurrent Jurisdictions” विषय पर विशेष अध्ययन एवं प्रस्तुतिकरण हेतु दिनांक 17 मार्च, 2025 को एक अध्ययन समूह का गठन किया गया। इस समूह में LCRA मृदुल तिवारी एवं सुश्री ईशा अस्थाना को नामित किया गया था।
हालांकि, कार्यालय द्वारा जारी आदेश में बिना अध्यक्ष की पूर्व स्वीकृति के जयेश भूसरेड्डी का नाम विशेष आमंत्रित के रूप में जोड़ दिया गया, जो प्रक्रिया के विपरीत था। उसी अवधि में अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी पारिवारिक शोकवश मुख्यालय से बाहर थे।
मुख्यालय लौटने के उपरांत जब उक्त आदेश अध्यक्ष की जानकारी में आया, तो उन्होंने इस पर गहरी अप्रसन्नता व्यक्त की और स्पष्ट निर्देश देते हुए समूह में तत्काल संशोधन का आदेश पारित किया। निर्देशों के अनुपालन में दिनांक 22 मार्च, 2025 को संशोधित कार्यालय आदेश जारी किया गया, जिसमें जयेश भूसरेड्डी का नाम विलोपित कर दिया गया था।
अध्यक्ष ने यह भी निर्देशित किया कि भविष्य में बिना पूर्व अनुमोदन के किसी भी प्रकार की नाम प्रविष्टि को गंभीर अनुशासनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाएगा।