
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए. के.शर्मा ने बताया कि इस निर्णय का उद्देश्य नगरीय क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जनसुविधा एवं सेवाएं उपलब्ध कराना है।इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आएगी और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।
नगर निगमों के वर्गीकरण के अंतर्गत 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों(लखनऊ, कानपुर नगर, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज) को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। 10 लाख से अधिक एवं 20 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम(मेरठ, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, मथुरा– वृंदावन, अयोध्या) द्वितीय श्रेणी में रखे गए हैं तथा 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम (झांसी,सहारनपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर) को तृतीय श्रेणी में शामिल किया गया है। अयोध्या और मथुरा वृंदावन में आने वाली फ्लोटिंग जनसंख्या को देखते हुए इन शहरों को श्रेणी 2 में रखा गया है। नगर पालिका परिषदों के वर्गीकरण के अंतर्गत तीन लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिकाओं को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। जिला मुख्यालय में स्थित नगर पालिकाओं को द्वितीय श्रेणी में रखा गया है शेष सभी नगर पालिकाओं को तृतीय श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
सभी 762 नगरीय निकायों की भौगोलिक, सामाजिक और कर्मियों की दृष्टि से व्यवस्था बनाई गई है।उदाहरणार्थ :
- 17 नगर निगमों को जनसंख्या के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा गया है।
- सामान्य कामकाज के लिए किसी शहरी नागरिक को निगम के मुख्यालय न आना पड़े इस हेतु से इन निगमों में 3 से 8 तक जोन बनाए जाएंगे, जहां जोनल ऑफिस बनाए जाएंगे।
- उसी प्रकार राज्य की 200 नगरपालिकाओं को भी तीन श्रेणी में विभक्त किया है।
- नई रचना में नगर विकास विभाग का केंद्रीय मानव बल दोगुने से अधिक हो जाएगा। अभी तक यह संख्या 3085 थी, जो अब बढ़कर 6686 हो जाएगी।