
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, चित्रकूट : सोमवार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विज्ञान और पर्यावरण संकाय के तत्वावधान में भौतिक विज्ञान में भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर व्याख्यान माला का आयोजन किया। इस अवसर प्रो राजेंद्र कुमार कोररिया, कुलगुरु, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा मुख्य अतिथि रहे। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रो भरत मिश्रा ने अध्यक्षता की।
मुख्य अतिथि और रीवा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो कोररिया ने कहा कि भौतिकी में भारतीय ज्ञान परंपरा का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने ओम के महत्व और इसके प्रभावों पर चर्चा करते हुए बताया कि ओम का व्यवस्थित ध्यान करने से एंजायटी लेवल कम होता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी उपाध्याय का चिंतन भारतीय ज्ञान परंपरा को आधार मानता है और इसी आधार पर उन्होंने समाज के लिए एकात्म मानव दर्शन का प्रतिपादन किया।
विज्ञान और पर्यावरण सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता प्रो कोररिया ने कहा कि लॉर्ड मैकाले ने सोच कि भारत पर शासन करना है, तो भारत की गुरुकुल शिक्षा परंपरा को ध्वस्त करना होगा। क्रमशः हमारा मानस बदलता गया और हम अपने मूल ज्ञान परंपरा से विमुख होते चले गए हमारे प्राचीन विश्वविद्यालयों जैसे नालंदा विक्रमशिला, तक्षशिला में बहुभाषीय शिक्षा व्यवस्था रही। मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण द्वारा किया गया। कार्यक्रम परिचय, रूपरेखा , उद्देश्य तथा धन्यवाद ज्ञापन विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सूर्यकांत चतुर्वेदी ने प्रस्तुत किया। संचालन डॉ वंदना पाठक ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो आर सी त्रिपाठी, विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय के डॉ वीरेंद्र उपाध्याय, डॉ साधना चौरसिया, डॉ रवि चौरे, डॉ अनिल अग्रवाल, डॉ सीता शरण गौतम, प्रो घनश्याम गुप्ता सहित शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी और छात्र छात्राये मौजूद रही।