
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : गुरुवार 13 नवंबर 2025 को बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रबंध अध्ययन विभाग में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान की विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफेसर विजिता सिंह अग्रवाल, निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मामले, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने “From Indus Ports to Roman Markets: India’s Ancient Trade Odyssey” विषय पर अपना सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. तरुणा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विशेष व्याख्यान के उद्देश्य को रेखांकित किया। स्वागत भाषण में डॉ. तरुणा ने कहा कि भारत का इतिहास न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक, ज्ञान, व्यापार एवं तकनीकी दक्षता का भी परिचायक रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की युवा पीढ़ी में ज्ञान, जिज्ञासा और रचनात्मकता की प्रबल ऊर्जा है — यदि इसे सही दिशा में प्रयुक्त किया जाए, तो भारत पुनः विश्वगुरु की भूमिका में स्थापित हो सकता है।
प्रो. अग्रवाल ने प्राचीन भारत के व्यापारिक वैभव, समुद्री मार्गों, सिंधु सभ्यता के बंदरगाहों और भारत-रोमन साम्राज्य के मध्य व्यापारिक संबंधों का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने पुरातात्विक साक्ष्यों, प्राचीन अभिलेखों तथा ऐतिहासिक व्यापारिक स्रोतों के माध्यम से भारत की सशक्त आर्थिक और सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इतिहास में भारत की भूमिका केवल सभ्यता और संस्कृति तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह विश्व व्यापार का केन्द्रीय केंद्र भी रहा है।
विद्यार्थियों को सिंधु घाटी सभ्यता, मेसोपोटामिया एवं अन्य प्राचीन सभ्यताओं से परिचित कराते हुए उन्होंने सिंधु सभ्यता से मेसोपोटामिया तक हाथीदांत के मोतियों (Ivory Beads) के व्यापार का उल्लेख किया तथा यह भी समझाया कि वास्को-दा-गामा भारत कैसे और क्यों आया। प्रोफेसर अग्रवाल ने अपने व्याख्यान को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए कहा कि प्राचीन भारत का व्यापारिक इतिहास आज के “Make in India” और “Viksit Bharat” जैसे अभियानों से गहराई से जुड़ा हुआ है।

कार्यक्रम के अंत मे प्रो0 अमित कुमार सिंह, अधिष्ठाता, स्कूल फार मैनेजमेंट एण्ड कामर्स ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए मौजूद सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रबंध अध्ययन विभाग ऐसे प्रेरक व्याख्यानों का नियमित आयोजन करेगा ताकि विद्यार्थियों में भारतीय सभ्यताओं की व्यावहारिक विरासत के प्रति गहरी समझ विकसित हो सके।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रोफेसर अमित कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष प्रबंध अध्ययन विभाग, कार्यक्रम की संयोजक डॉ तरुणा, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रबंध अध्ययन विभाग, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ, विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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