
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बलरामपुर गार्डेन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में शनिवार को रतन कुमार श्रीवास्तव ‘रतन’ की लिखी चर्चित पुस्तक ‘ख़्वाबों का ताना-बाना’, जिसका दूसरा संस्करण महज 47 दिनों में ही आ चुका है, का लोकार्पण और परिचर्चा वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा आयोजित की गई। सचिवालय में निजी सचिव के पद पर कार्यरत लेखक रतन कुमार श्रीवास्तव ‘रतन’ ने सभी अतिथियों का स्वागत शाल, बुके एवं मोमेण्टो देकर किया एवं किताब के बारे में विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्वान अतिथियों ने किताब पर अपनी-अपनी बातें, अपने-अपने ढंग से रखीं। किसी ने किताब को लेखक की ज़िंदगी का आईना बताया तो किसी ने किताब को जीवंत साहित्य तो किसी ने किताब को हसीं ज़िंदगी का मुकम्मल सफ़रनामा तक कहा।
इस समारोह में मुख्य रूप से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 दिनेश चन्द्र अवस्थी, डॉ0 अवधी हरि, सुशील श्रीवास्तव, उप निदेशक, आकाशवाणी, लखनऊ डॉ0 अनामिका श्रीवास्तव, वाणी प्रकाशन के प्रतिनिधि अतुल माहेश्वरी तथा राष्ट्रीय पुस्तक मेले के संयोजक मनोज सिंह चंदेल सहित तमाम गणमान्यजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण श्रीमती नीतू श्रीवास्तव द्वारा रतन श्रीवास्तव की लिखी ग़ज़ल-कोई तो बताए कि ये ख़ुमारी क्यूँ है, बरसों बाद भी इतनी बेक़रारी क्यूँ है, रही।
कार्यक्रम का सफल संचालन प्रख्यात पत्रकार पीयूष त्रिपाठी द्वारा किया गया।
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