
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, कुलगाम : ऐसी ही कार्रवाई कुलगाम ज़िले के मतलहामा गांव में ज़ाकिर अहमद के घर पर भी की गई है. परिवार का कहना है कि ज़ाकिर 2023 में घर से ग़ायब हो गया था और उसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला.
ज़ाकिर के पिता ग़ुलाम मोहिउद्दीन का कहना है कि उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई थी, जिसके बाद पुलिस और सेना ने बताया कि उनका बेटा एक चरमपंथी संगठन में शामिल हो गया है.
ग़ुलाम मोहिउद्दीन ने बताया, “जब हमारे घर को धमाके से ध्वस्त किया गया, तब रात के दो बजकर तीस मिनट हो गए थे. हमें मस्जिद में रखा गया था, उसी समय ब्लास्ट किया गया.” “अब तक हमें नहीं पता कि ज़ाकिर अहमद ज़िंदा है या मर गया है. हमसे उसका कभी कोई संपर्क नहीं हुआ. सेना और गांव वाले भी जानते हैं कि उसने हमें कभी चेहरा नहीं दिखाया.”
मोहिउद्दीन कहते हैं, “हमारा सब कुछ मकान में ही दब गया. हम कुछ भी अपने साथ नहीं निकाल सके. हमारी एक छोटी बच्ची है, उसे हमने फेरन में लपेटकर ढका. जो कपड़े आज हमने पहने हैं, वही कुछ बचा पाए हैं. उस रात हम बस अपनी जान बचा सके.”
मीडिया से ज़ाकिर की बहन रुकैया कहती हैं, “हमारे लिए वह तब ही मर गया था जब वह घर से निकला था. इस समय हमें मालूम नहीं है कि वह ज़िंदा है या नहीं.”
रुकैया कहती हैं, आज परिवार पर बहुत ज़ुल्म किया गया है. मेरे दो और भाई पुलिस की हिरासत में हैं. मेरे चाचा का इकलौता बेटा भी बंद है.”
उन्होंने कहा, “ज़ाकिर को परिवार का समर्थन नहीं है. मैं कहती हूं कि वह जहां भी है, उसे पकड़कर ख़त्म कर दिया जाए. हम हाथ जोड़कर इंसाफ़ की मांग कर रहे हैं. हमें और कुछ नहीं चाहिए.”