
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली / श्रीनगर : अभूतपूर्व विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए, जम्मू मंडल ने उल्लेखनीय लचीलापन और अटूट दृढ़ संकल्प का परिचय दिया है। लगातार भारी बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण कई स्थानों पर जो एक बड़ा व्यवधान शुरू हुआ, वह समन्वित कार्रवाई, निस्वार्थ सेवा और करुणा की शक्ति का प्रमाण बन गया।

शुरुआती दिन बहुत कठिन थे। रेल यातायात बाधित था, प्रमुख राजमार्ग अवरुद्ध थे, और कई इलाकों में बिजली और संचार लाइनें ठप थीं।
माता वैष्णो देवी जाने वाले तीर्थयात्रियों सहित हजारों यात्री फंसे हुए थे। व्यवधान का विशाल पैमाना किसी भी व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए पर्याप्त होता, लेकिन जम्मू मंडल ने चुनौती का डटकर सामना किया।

इसका नेतृत्व समर्पित कर्मचारियों ने किया, जिन्होंने अथक परिश्रम किया और जनता की भलाई को अपनी सुविधा से पहले रखा। जम्मू तवी, श्री माता वैष्णो देवी कटरा और पठानकोट रेलवेस्टेशनों पर, रेलवे कर्मचारियों ने राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और जिला प्रशासन के साथ मिलकर समर्पित सहायता केंद्र स्थापित किए। वे केवल जानकारी ही नहीं दे रहे थे; बल्कि वे चिंतित और फंसे हुए यात्रियों के लिए आशा की किरण भी थे। उन्होंने भोजन, पानी और अस्थायी आवास की व्यवस्था की, अक्सर स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक समाज समूहों की मदद से, जो उनके प्रयासों में सहयोग के लिए आगे आए। उन्होंने विशेष ट्रेनों के संचालन के लिए चौबीसों घंटे काम किया और हज़ारों यात्रियों को उनके गंतव्य तक सफलतापूर्वक पहुँचाया। रेलवे अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करना कि हर फंसे हुए व्यक्ति की देखभाल की जाए, उनकी प्रतिबद्धता का एक सशक्त प्रतीक बन गया।

यह वीरतापूर्ण प्रयास कोई अकेला प्रदर्शन नहीं था। यह अन्य मंडलों और एजेंसियों के सहयोग का एक संयोजन था।
रेलवे प्रशासन ने भी न केवल संकट के प्रबंधन में, बल्कि अपने कर्मचारियों की देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कर्मचारियों पर पड़ रहे भारी दबाव को समझते हुए, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक और जम्मू के मंडल रेल प्रबंधक सहित वरिष्ठ अधिकारी ज़मीनी स्तर पर मौजूद थे, व्यक्तिगत रूप से परिचालन की निगरानी कर रहे थे और टीमों का मनोबल बढ़ा रहे थे ! इस कठिन समय में जम्मू मंडल की कहानी मानवता के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है।