
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, मुंबई : आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की गुरुवार हुई बैठक में इक्विटी पूँजी (सीसीपीएस) के तहत प्रेफरेंशियल इश्यू को मंजूरी दी गई। इसमें करीब लगभग 4,876 करोड़ रुपए की राशि करंट सी इन्वेस्टमेंट्स बी.वी. को दी जाएगी, जो वारबर्ग पिंकस एलएलसी की एक सहयोगी कंपनी है। इसके अलावा, लगभग 2,624 करोड़ रुपए की मंजूरी प्लेटिनम इनविक्टस बी 2025 आरएससी लिमिटेड को मिली है, जो अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और इसके निजी इक्विटी विभाग द्वारा संचालित होती है।
बैंक की जमा राशि छह गुना बढ़ी है, लोन और एडवांस की राशि दोगुनी हुई है, और कासा अनुपात 8.7% से बढ़कर 47.7% तक पहुँच चुका है। वित्त वर्ष 2019 में जहाँ बैंक को 1,944 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था, वहीं वित्त वर्ष 2024 में बैंक ने 2,957 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया।
वी. वैद्यनाथन, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, ने कहा, “हमने बैंक की नींव पहले दिन से ही एक विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दीर्घकालिक सोच के साथ रखी है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमें खुशी है कि वारबर्ग पिंकस एक बार फिर हमारे साथ जुड़ रहा है और एडीआईए की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी हमारे शेयरधारकों में शामिल हो रही है।” विशाल महादेविया, मैनेजिंग डायरेक्टर, हेड- एशिया प्राइवेट इक्विटी, और ग्लोबल को-हेड- फाइनेंशियल सर्विसेस, वॉरबर्ग पिंकस, ने कहा, “हम मानते हैं कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र रोमांचक अवसर से परिपूर्ण है और यह दीर्घकालिक विकास की ओर बढ़ रहा है।” हमद शाहवान अलधाहेरी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर- प्राइवेट इक्विटी डिपार्टमेंट, एडीआईए, ने कहा, “आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने खुद को भारत के प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों में से एक के रूप में स्थापित किया है, जिसे एक अनुभवी प्रबंधन टीम का समर्थन प्राप्त है।”
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