
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में शुक्रवार 1 अगस्त को बीबीएयू, इंडियन सोसाइटी फॉर वेटेरनरी सर्जरी (यूपी चैप्टर), बायोबैंक इंडिया फाउंडेशन कैंसर केयर एवं वन हेल्थ इंडिया आर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में ह्यूमन वेटेरनरी आंकोलॉजी एंड वन हेल्थ कांफ्रेंस 2025 का उद्घाटन किया गया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स, बीबीएयू प्रो. एस. विक्टर बाबू, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बीएचयू, वाराणसी के प्रो. के.के. पाण्डेय, बायोबैंक इंडिया फाउंडेशन कैंसर केयर के सलाहकार, फैकल्टी ऑफ वेटेरनरी एंड एनिमल साइंस, राजीव गांधी साउथ कैंपस, बीएचयू के प्रो. नरेश के. सिंह एवं बायोबैंक इंडिया फाउंडेशन कैंसर केयर के डायरेक्टर डॉ. वीरेंद्र के. यादव उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से मंचासीन शिक्षकों एवं अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं शॉल भेंट करके उनका स्वागत किया गया। सर्वप्रथम प्रो. नरेश के. सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रूपरेखा से अवगत कराया।

बीबीएयू के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने आयोजन समिति को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है, जो जीवन जीने की भारतीय दर्शन को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि आज के समय में जिस प्रकार मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता असंतुलित होती जा रही है, उसे संतुलित रखने के लिए हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित पंचकोश का सिद्धांत अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये पंचकोश हैं – अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश। प्रो. मित्तल ने इस बात पर बल दिया कि प्रकृति के साथ जुड़ने का प्रयास करना चाहिए और शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार पुनर्गठित करना होगा, जिसमें प्रकृति, विज्ञान, आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संतुलित समावेश हो तभी ही ‘सा विद्या या विमुक्तये’ अर्थात् वही ज्ञान है जो मुक्त करे का उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा।
प्रो. के.के. पाण्डेय ने बायोबैंक इंडिया फाउंडेशन कैंसर केयर के बारे में बताते हुए कहा कि यह (BBIFCC) एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसका उद्देश्य कैंसर से जुड़ी जागरूकता, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में कार्य करना है। यह BBIFCC कैंसर की रोकथाम, समय पर पहचान और प्रभावी उपचार के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करती है। प्रो. पाण्डेय ने बताया कि यह संस्था ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों, स्क्रीनिंग अभियान और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करती है। साथ ही यह संस्था चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर कैंसर अनुसंधान को प्रोत्साहित करती है।
प्रो. एस. विक्टर बाबू ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कैंसर एक घातक रोग है जो शरीर की कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है। यह रोग धीरे-धीरे शरीर के अंगों को क्षतिग्रस्त कर देता है और समय रहते उपचार न मिलने पर जानलेवा सिद्ध हो सकता है। समय पर जांच और सही जानकारी से कैंसर को शुरुआती चरण में पकड़ा और इलाज किया जा सकता है। इसलिए इसकी जागरूकता अत्यंत आवश्यक है ताकि लोग सतर्क रहें और समय रहते चिकित्सा ले सकें।
इसके अतिरिक्त बीरेंद्र कुमार यादव ने सभी के समक्ष प्रोग्रेस रिपोर्ट को प्रस्तुत किया। साथ ही प्रो. नरेश के. सिंह ने कैंसर के प्रति जागरूकता से संबंधित विषय पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान आयोजन समिति की ओर से विभिन्न शोधकर्ताओं को उनके द्वारा किये गये विशेष कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर प्रतिभागियों के लिए चार तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र बीबीएयू के डॉ. जी. सुनील बाबू की अध्यक्षता में ‘कैंसर अनुसंधान में प्रतिस्पर्धी ऑन्कोलॉजी और समग्र उपचार (Comparative Oncology And Holistic in Cancer Research) विषय पर आयोजित किया गया। द्वितीय तकनीकी सत्र केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के डॉ. दिव्येंदु बनर्जी की अध्यक्षता में ‘निवारक देखभाल और जीवितता (Palliative Care And Survivorship) विषय पर आयोजित किया गया। इसी सत्र के दौरान प्रतिभागियों के लिए प्रश्नोत्तरी एवं पोस्टर प्रस्तुतिकरण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
इसके अतिरिक्त तृतीय तकनीकी सत्र आईएमएस, बीएचयू के प्रो. के.के. पाण्डेय एवं बीबीएयू के प्रो. राम चन्द्रा की अध्यक्षता में ‘कैंसर चिकित्सा में सटीक और पारंपरिक दृष्टिकोण (Precision & Traditional Approaches in Oncology) विषय पर आयोजित हुआ। साथ ही चतुर्थ तकनीकी सत्र बीबीएयू के डॉ. रामनरेश भार्गव, डॉ. मोनिका शर्मा एवं एनिमल हसबैंड्री डायरेक्ट्रेट के डॉ. कौशलेंद्र कुमार और आईएमएस, बीएचयू की डॉ. रश्मि गुप्ता की अध्यक्षता में ‘उभरती आवाज़ें: त्वरित अनुसंधान की प्रमुख झलकियाँ ( Emerging Voices: Rapid Research Highlights) विषय पर आयोजित किया गया।
इसके अतिरिक्त प्रतिभागियों के लिये संगीत संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. कुमार अंबरीश चंचल ने गायन प्रस्तुति दी। इसके अतिरिक्त कृष्ण कुमार तिवारी ने हारमोनियम एवं पियूष कुमार ने तबला प्रस्तुति दी।
समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, विभिन्न संस्थानों के अधिकारीगण, देशभर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकगण, शोधार्थ, प्रतिभागी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।