
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, चित्रकूट : दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आरोग्यधाम के सेमिनार हाॅल में रविवार को मानवाधिकार पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियांक कानूनगो मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ प्रियंक कानूनगो, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव निखिल मुंडले, संगठन सचिव अभय महाजन, सचिव अपराजित शुक्ल, सीईओ अमिताभ वशिष्ठ द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने अपने मुख्य आतिथ्य उद्बोधन में कहा कि मानवाधिकारों के सम्मान, संरक्षण और संवर्धन के लिए लोगों, समाजों और देशों के बीच विचारों, चिंताओं और अनुभवों का आदान-प्रदान करना, जो जीवन, स्वतंत्रता, शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी अधिकारों से जुड़े हैं, ताकि एक न्यायपूर्ण समाज की नींव रखी जा सके और हर व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके, जैसा कि 1948 की मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में बताया गया है।

कानूनगो ने कहा कि हम बात करेंगे एक ऐसे संस्थान की, जिसने ‘ग्रामोदय से राष्ट्रोदय’ का सपना साकार किया है। दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना 1968 में राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने की थी। यह संस्थान दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानवदर्शन’ पर आधारित है। गुरुकुल बच्चों को संस्कार और आधुनिक ज्ञान दोनों देता है। दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।
दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव निखिल मुंडले ने मानवाधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की बात को स्पष्टतापूर्वक रखा !सीईओ अमिताभ वशिष्ठ ने बताया कि ऐसे संवाद कार्यक्रम सकारात्मक बदलाव की नींव रखते हैं। कार्यक्रम का संचालन आयुर्वेद शोध सदन के प्रभारी डाॅ मनोज त्रिपाठी द्वारा किया गया। इस मौके पर दीनदयाल शोध संस्थान के महाप्रबंधक डाॅ अनिल जायसवाल सहित चित्रकूट प्रकल्प के सभी प्रभारी एवं प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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