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HCQ मॉडल के जरिए कोरोना वैक्सीन को पड़ोसी देशों तक पहुंचाएगा भारत

अशाेक यादव, लखनऊ। देश में बने कोरोना वैक्सीन को दूसरे देशों तक पहुंचाने के लिए भारत ‘एचसीक्यू मॉडल’ का इस्तेमाल करेगा। एक तरफ जहां देश में लोगों के लिए वैक्सीन की जरूरतों को ध्यान में रखा जाएगा, तो वहीं पड़ोसी और करीबी मित्र देशों को भी टीका मुहैया कराना भारत की पहली प्राथमिकता होगी। इस मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी। दूसरे देशों को टीका उपलब्ध कराने की भारत की यह कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संकल्प को दिखाती है जिसमें उन्होंने पूरी मानवता के लिए कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा मुहैया कराने की बात कही है।

भारत ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवाओं को मित्र देशों तक पहुंचाने के लिए इसी तरीके का इस्तेमाल किया था। दरअसल एक अध्ययन में यह दावा किया गया था कि मलेरिया के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली ये दवाएं कोरोना के इलाज में कुछ हद तक कारगर हैं, जिसके बाद केंद्र ने यह कदम उठाया था। मदद के तौर पर एचसीक्यू को भेजने के साथ ही भारत ने 82 देशों को करीब 50 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट्स की आपूर्ति की थी।

भारत ने नेपाल को कोरोना वैक्सीन की 1 करोड़ 20 लाख कुरात देने का वादा किया है। अगले सप्ताह जब नेपाल के विेदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली नई दिल्ली के दौरे पर आएंगे, उस वक्त इस बात पर आखिरी मुहर लगेगी। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पिछले साल ही अपनी नेपाल यात्रा के दौरान इस ओर संकेत दिया था कि भारत की कोशिश सबसे पहले दक्षिण एशियाई देशों को वैक्सीन मुहैया कराने की होगी। श्रृंगला ने कहा था, “हमारी पहली प्राथमिकता हमारे पड़ोसी देश और मित्र राष्ट्र होंगे।”    

भारत ने पड़ोसी बांग्लादेश को कोविड टीकों की एक बड़ी खेप उपलब्ध कराने का फैसला पहले ही किया है। बांग्लादेश को 3 करोड़ टीकों की आपूर्ति करने के  लिए समझौता हुआ है। सूत्रों के अनुसार, भारत अपनी ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ या आर्थिक सहायता का इस्तेमाल कर इस कोविड-रोधी टीके की कुछ खुराक  आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भूटान, मालदीव समेत कुछ पड़ोसी देशों को उपलब्ध कराने पर विचार कर सकता है। भारत ने टीके के लिए भी नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का फैसला किया है। भारत टीका निर्माण के लिहाज से बड़ी क्षमता वाला देश है। सरकार ने तय किया है कि कोविड के खिलाफ जंग में इस क्षमता का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाएगा।

भारत सार्क के ज्यादातर देशो को टीका उपलब्ध कराने को तैयार है। अफगानिस्तान को भी भारत ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ के जरिए टीका की सहायता उपलब्ध  करा सकता है। गौरतलब है कि भारत दुनिया में बनने वाले 60 फीसद टीकों का उत्पादक है। लिहाज़ा सभी बड़ी कंपनियां और टीका बनाने वाले देश टीका के  व्यापक उत्पादन के लिए भारत के साथ साझेदारी बनाने में लगे हैं। अधिकारियों ने बताया कि श्रीलंका की सरकार ने औपचारिक रूप से कोविड टीके के लिए भारत की सहायता मांगी है। वहीं, श्रीलंका की यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे राजपक्षे से कहा कि भारत ने अन्य देशों को भारतीय टीके की आपूर्ति करते समय श्रीलंका को प्राथमिकता दिए जाने पर सहमति जताई है।

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