हिंदू धर्म में गुरु और ईश्वर दोनों को एक समान माना गया है। गुरु भगवान के समान है और भगवान ही गुरु हैं। गुरु ही ईश्वर को प्राप्त करने और इस संसार रूपी भव सागर से निकलने का रास्ता बताते हैं। गुरु के बताए मार्ग पर चलकर व्यक्ति शान्ति, आनंद और मोक्ष को प्राप्त करता है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया कि अगर भक्त से भगवान नाराज हो जाते हैं तो गुरु ही आपकी रक्षा और उपाय बताते हैं। महान संत और कवि कबीरजी का गुरु और भगवान के बारे में विश्व प्रसिद्ध दोहे रचना की है-
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥
हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को मनाई जाएगी। गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा-आराधना की जाती है। देश में गुरु पूर्णिमा का बहुत ही महत्व है। गुरु पूर्णिमा को लोग बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। भारत ऋषियों और मुनियों का देश है जहां पर इनकी उतनी ही पूजा होती है जितना भगवान की। महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी। साथ ही सिख धर्म केवल एक ईश्वर और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक सत्य मानता आ रहा है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा महाकाव्य महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास संस्कृत के महान ज्ञाता थे। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी वेद व्यास को दिया जाता है। इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है|
Guru Purnima 2019: बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा, जानिए इसका महत्व
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