
नई दिल्ली। वित्त मंंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्यसभा में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद एक संघीय संस्था है जो बिना किसी भेदभाव के एक निर्धारित फार्मूले के तहत राज्यों को जीएसटी में उनके हिस्से का भुगतान करती है तथा इसे लेकर किसी तरह की राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी के महाराष्ट्र की भारी भरकम बकाया जीएसटी राशि से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि जीएसटी परिषद एक संघीय संस्था है जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री रहते हैं और परिषद में सभी की सहमति से तैयार निर्धारित फार्मूले के आधार पर राज्यों में कर की राशि का भुगतान किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यदि महाराष्ट्र की बकाया राशि सबसे अधिक है तो यह भी देखा जाना चाहिए कि उसे अब तक अन्य राज्यों की तुलना में अधिक भुगतान भी किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोन लेकर भी राज्यों के बकाया का भुगतान किया है। राज्यों को कर के बंटवारे के बारे में सामूहिक रूप से निर्णय लिया जाता है।
साथ ही कहा कि यह कहना गलत है कि राज्यों को कर का भुगतान राजनीति के आधार पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए तथा इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह एक संघीय संस्था का अपमान होगा। जीएसटी इस मुद्दे पर तीन बार चर्चा कर चुकी है।
वहीं चतुर्वेदी ने कहा था कि महाराष्ट्र सबसे ज्यादा कर की उगाही करके देता है लेकिन उसका 11 हजार करोड़ रूपये से भी अधिक बकाया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह कुछ अन्य राज्यों का भी बकाया है और इनमें से अधिकतर गैर भाजपा शासित राज्य हैं।
इससे पहले वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने उपरोक्त सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार राज्यों की 53 हजार करोड़ रूपये से अधिक की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है। क्षतिपूर्ति पर उपकर की व्यवस्था को पांच वर्ष की अवधि यानी 2022 से आगे बढाये जाने के बारे में पूछे गये सवाल को उन्होंने टाल दिया।
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