अहमदाबाद। गुजरात राज्य विद्यालय पाठ्यपुस्तक बोर्ड (GSSTB) की हिंदी के किताब को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हिंदी की किताब में रोजे को एक संक्रामक रोग बताया गया है। किताब में लिखा है कि इस रोग में दस्त और उल्टी आती है।
बोर्ड की जिस किताब में ऐसा लिखा गया है वह वहां चौथी क्लास को पढ़ाई जा रही है। किताब की प्रेमचंद की कहानी ईदगाह में यह गड़बड़ मिली है। किताब के तीसरे पाठ के अंत में रोजा शब्द को विस्तार से समझाते हुए लिखा कि यह एक संक्रामक रोग है जिसमें दस्त और काई आती है।
इस मामले पर जब जीएसएसटीबी के चेयरमैन नितिन पेठानी ने प्रिंटिग में हुई गलती का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि वहां रोजा की जगह हैजा होना था। लेकिन गलती से दोनों शब्द आपस में बदल गए।
इस पर अहमदाबाद के एक संगठन ने बात को ऊपर तक लेकर जाने को कहा है। उस संगठन को चलाने वाले मुजाहिद नफीस ने कहा कि वह जीएसएसटीबी और राज्य सरकार के खिलाफ शिकायत करेंगे। मुजाहिद ने कहा कि धर्म को लेकर ऐसी गलतियां बर्दाशत नहीं की जाएंगी।
यह घटना असामान्य इसलिए नहीं है क्योंकि इससे पहले GSSTB की नौंवी की किताब में जीसस क्राइस्ट के बारे में अपमानजनक बात लिखी थी।
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