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निर्वाचन आयोग की पहल : मृत्यु पंजीकरण डेटा उपयोग, बीएलओ को पहचान-पत्र एवं मतदाता पर्ची में बदलाव

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी चन्द्रशेखर ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचक नामावली की सटीकता बढ़ाने और मतदाताओं के लिए मतदान प्रक्रिया को अधिक सुगम बनाने के उद्देश्य से तीन महत्वपूर्ण पहलें प्रारंभ की हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के निर्देशानुसार यह निर्णय मार्च 2025 में आयोजित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन में परिकल्पित पहलों के अनुरूप लिया गया है। निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

आयोग ने निर्णय लिया है कि अब निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को भारत के महापंजीयक से मृत्यु पंजीकरण का डेटा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्रक्रिया निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 9 तथा जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 (संशोधित 2023) की धारा 3(5)(ख) के तहत लागू होगी। इससे पंजीकृत मृतकों की जानकारी समय से ईआरओ को मिल सकेगी और बीएलओ फील्ड सत्यापन के जरिए बिना औपचारिक अनुरोध की प्रतीक्षा किए नाम हटाने की प्रक्रिया पूर्ण कर सकेंगे।

इसके अतिरिक्त, आयोग ने मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस) के डिज़ाइन में सुधार कर उसे मतदाताओं के लिए अधिक सुगम बनाने का निर्णय लिया है। अब पर्ची में मतदाता की क्रम संख्या और भाग संख्या अधिक प्रमुखता से बड़े फ़ॉन्ट में प्रदर्शित की जाएगी, जिससे मतदान केंद्र और नामावली में पहचान सरल हो सकेगी।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13ख (2) के अंतर्गत नियुक्त सभी बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को मानक फोटो पहचान-पत्र जारी किए जाएं। इससे नागरिक बीएलओ की पहचान कर उनसे आश्वस्त होकर संवाद कर सकेंगे। घर-घर जाकर कार्य करने के दौरान बीएलओ और मतदाताओं के बीच भरोसेमंद संपर्क स्थापित करना आयोग की प्राथमिकता है।

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