
मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ : यूपी में 60,244 पदों पर पुलिस भर्ती के लिए प्रक्रिया दिसंबर, 2023 में शुरू हुई थी। इसमें 20 फीसदी महिलाओं की भर्ती होनी थी। 60,244 में 48,195 पुरुष और 12,049 महिला अभ्यर्थियों का चयन होना था। इसके लिए पहले फरवरी, 2024 में परीक्षा हुई, लेकिन पेपर लीक हो गया। अगस्त, 2024 में इसकी प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई और परीक्षा कराई गई। इस परीक्षा में करीब 50 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। पेपर लीक के बाद 30% ने छोड़ दी थी परीक्षा अगस्त, 2024 में दोबारा परीक्षा कराई गई। इस बार करीब 30% अभ्यर्थियों ने परीक्षा नहीं दी थी। परीक्षा का अंतिम परिणाम 13 मार्च, 2025 को घोषित हुआ। ऊपर सरकार की बहुप्रचारित पुलिस भर्ती के परिणाम को भुनाते हुये 15 जून को अमित शाह की मौजूदगी में चयनित अभ्यर्थियों को लखनऊ में एक बड़े कार्यक्रम के दौरान नियुक्ति पत्र दिए गए । 21 जून 2025 से इन अभ्यर्थियों की जेटीसी और फिर 21 जुलाई 2025 से आरटीसी पर इनकी मुख्य ट्रेनिंग शुरू हुई।
चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 3568 अभ्यर्थियों ने जॉइन ही नहीं किया, अर्थात ट्रेनिंग लेने नहीं पहुंचे। 48,195 पुरुषों के स्थान पर 45,055 पुरुषों ने और 12,049 महिलाओं के स्थान पर 11,621 महिला अभ्यर्थियों ने जॉइन किया। यानी 60,244 में से 56,676 अभ्यर्थियों ने ही जॉइन किया। बाकी 3568 अभ्यर्थियों ने पुलिस की नौकरी से किनारा कर लिया।
पूर्व डीजीपी और डीजी ट्रेनिंग रह चुके सुलखान सिंह बताते हैं कि इस बेरोजगारी के जमाने में कोई जॉइन न करे, ये समझ से परे है, इसकी कई वजह हो सकती हैं। ऐसे अभ्यर्थियों के न जॉइन करने से जो पद रिक्त रह जाते हैं, उनके लिए दोबारा वैकेंसी निकाली जाती है। नए सिरे से उन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाती है।
प्रशिक्षण से जुड़े एक अफसर ने बताया कि कुछ अभ्यर्थियों ने ट्रेनिंग जॉइन करने के बाद इस्तीफा दे दिया है। ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या कुछ ज्यादा ही बताई जा रही है। कहते हैं कि इनमें कुछ ऐसे हैं, जो कहीं और चयनित हो गए हैं, पर साक्ष्य नहीं है। कुछ ऐसे भी हैं, जो प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षण माहौल में खुद को ढाल नहीं पा रहे थे। देवरिया के एक अभ्यर्थी ने केवल इसलिए इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वह सुबह 5 बजे नहीं उठ सकता था, इस अभ्यर्थी की नियुक्ति गाजीपुर जिले में हुई थी। पहले तो उसके पिता ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी तो एसपी कार्यालय जाकर अभ्यर्थी ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसी तरह फिरोजाबाद पुलिस लाइन में प्रशिक्षकों से परेशान प्रशिक्षु सिपाही तरुण कुमार ने 23 जुलाई को 3 मंजिला बैरक से कूदकर आत्महत्या कर ली। बुलंदशहर पुलिस लाइन में 26 जुलाई, 2025 को ट्रेनी सिपाही भूपेंद्र ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। उसे गंभीर हालत में हायर सेंटर रेफर किया गया। वह हाथरस का रहने वाला है और एक दिन पहले ही घर से लौटा था।
गोरखपुर में पीटीएस में दुर्व्यवहार एवं अव्यवस्थाओं को लेकर महिला अभ्यर्थियों ने जम कर हंगामा किया। मुख्यमंत्री का जिला होने के कारण कई जिम्मदारों पर शासन की गाज गिरी, लेकिन प्रदेश में प्रशिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों की स्थिति बहुत प्रशिक्षण वाली नहीं है, अर्थात अनुभवहीन है, साथ ही सशाधनों का आभाव है।
प्रदेश के प्रशिक्षण केंद्रों पर जवानों के रहने, खाने एवं वाशरूम की भी सही व्यवस्था नहीं हैं ! सरकार को प्रशिक्षण प्रारम्भ करने से पूर्व प्रशिक्षणार्थीयों के लिए सम्पूर्ण संशाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए थी, जोकि सरकार नहीं कर पायी !
10 प्रशिक्षण संस्थानों (एटीसी, पीटीसी और पीटीएस) में 9,447 सिपाही प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसमें पुरुषों की संख्या 5,914 है, जबकि महिलाओं की संख्या 3,533 है। इसके अलावा सभी कमिश्नरेट में 4302 अभ्यर्थी प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। इसमें पुरुषों की संख्या 2,800 है, जबकि महिलाओं की संख्या 1502 है। आगरा जोन में 3,250 पुरुष, बरेली जोन में 2,800 पुरुष, 1,900 महिलाएं, गोरखपुर में 3,348 पुरुष और 1,005 महिलाएं, कानपुर जोन में 1,986 पुरुष और 1,104 महिलाएं हैं। लखनऊ जोन में 3,380 पुरुष और 600 महिलाएं, मेरठ जोन में 3,048 पुरुष, प्रयागराज में 3,051 पुरुष और वाराणसी में 3,355 पुरुष और 605 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही हैं। वहीं, पीएसी बटालियन में 12,407 पुरुष और 1,533 महिलाएं ट्रेनिंग ले रही हैं। इसमें मृतक आश्रित 284 पुरुष और 161 महिलाओं का प्रशिक्षण चल रहा है।
उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों की स्थिति बहुत प्रशिक्षण वाली नहीं है, अर्थात अनुभवहीन है इसलिए सरकार को पुलिस ट्रेनिंग के लिए पेशेवर प्रशिक्षकों की व्यवस्था करने के प्रयास करने चाहिए। और साथ ही प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त संशाधन एवं उचित वातावरण भी होना चाहिए !