
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, वाराणसी : वाराणसी की एक अदालत ने मंगलवार को विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी को तलब करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता हरिशंकर पांडे ने कहा कि उनकी याचिका को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार त्रिपाठी ने खारिज कर दिया, जिन्होंने इसे “गैर-स्थायी” माना। अदालत ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 के प्रावधानों के अनुसार, ऐसे मामलों में केंद्र या राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति अनिवार्य है।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडे ने कहा वह अब जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति मांगेंगे और फिर से याचिका दायर करेंगे।
शिकायत अधिवक्ता हरिशंकर पांडे ने 12 मई को दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ब्राउन यूनिवर्सिटी में अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने भगवान राम को “पौराणिक और काल्पनिक व्यक्ति” बताया था। पांडे ने अदालत से कानून की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
राहुल गांधी ने क्या कहा ?
पिछले महीने एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में बातचीत के दौरान, गांधी ने हिंदू की परिभाषा के बारे में भाजपा के विचार को खारिज कर दिया और कहा कि सभी महान भारतीय समाज सुधारक और राजनीतिक विचारक – ज्योतिराव फुले, बीआर अंबेडकर, महात्मा गांधी और यहां तक कि गुरु नानक, बसव और बुद्ध – ने एक ही बात कही थी, “सभी को अपने साथ लेकर चलें, सत्य और अहिंसा।”
कांग्रेस नेता ने कहा था, “मेरे लिए यह भारतीय परंपरा और इतिहास का आधार है। मैं भारत में किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानता जिसे हम महान मानते हों और जो इस प्रकार का न हो। मैं एक भी व्यक्ति के बारे में नहीं सोच सकता। सभी पौराणिक पात्र हैं। भगवान राम उस समय के थे, जहां वे क्षमाशील थे, वे दयालु थे।”