
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, चित्रकूट : महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में मूल्य और सामाजिक उत्तर दायित्व पाठयक्रम के तहत अंगीकृत मासिक प्रार्थना सभा में शुक्रवार को पर्यावरण विदो ने अपनी राय रखी। इस अवसर पर पदमश्री महेश शर्मा ने प्रकृति की भाषा को समझ कर पर्यावरण पूरक आचरण करने का आवाहन किया।
पदमश्री महेश शर्मा ने कहा कि हमें अपने पूर्वजों की भांति प्रकृति की भाषा को जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर्यावरण का महत्वपूर्ण अंग है, जो हमें जल, अग्नि, वायु, आकाश तत्वों के साथ जोड़ कर रखती है। प्रकृति के पांचों तत्व हमारे साथ गहराई से जुड़े हैं और हमें एक करने हेतु प्रतिक्षण लगे रहते हैं।
पदमश्री बाबूलाल दाहिया ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर विस्तार से चर्चा करते हुए गांव और गांव में रहने वाले किसान, मजदूर शिल्पी आदि की जीवन शैली और कौशल ज्ञान के स्वरूप को रेखांकित किया। उन्होंने ग्रामीण विद्या घरों की चर्चा करते कहा कि ग्रामीण विकास की वास्तविक धुरी गांव में उपलब्ध संसाधन पर केंद्रित थी।
पर्यावरण विद डॉ अनिल कुमार उड़ीसा ने सतत पर्यावरण के लिए किए जा रहे कार्यों और सुझावों पर प्रकाश डाला।
कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने बताया कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की भावनाओं और ग्रामोदय दर्शन के अनुरूप भारतीय संस्कृति विकास और विरासत उत्थान की दिशा सशक्त प्रयास कर रहे हैं।
प्रार्थना सभा का प्रारंभ अतिथियों द्वारा विद्या दायिनी मां सरस्वती और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। प्रार्थना सभा की निर्धारण गतिविधियों के क्रम में ॐ का उच्चारण, सरस्वती वंदना, कुलगीत, श्लोक और भावार्थ वाचन, समूह गीत, एकल गायन, भजन आदि गतिविधियां संपन्न हुई।