
भारत का जम्मू कश्मीर
सूर्योदय भारत समाचार सेवा : अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई अपरिहार्य है और तब कूटनीति की ज़रूरत पड़ेगी. एक्सपर्ट कहते हैं, “पाकिस्तान की ओर से जवाब आना निश्चित है. चुनौती अगले स्तर के संघर्ष को संभालने की होगी. यहीं पर क्राइसिस डिप्लोमेसी मायने रखेगी.” “पाकिस्तान को संयम बरतने की सलाह मिल रही होगी.”
लाहौर के डॉ. हुसैन का मानना है कि जवाबी हमला होने की संभावना है. उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी सेना की मीडिया में बयानबाज़ी और बदला लेने के लिए घोषित संकल्प को देखते हुए आने वाले दिनों में जवाबी कार्रवाई, संभवतः सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में, मुमकिन लगती है.”
लेकिन डॉ. हुसैन की चिंता है कि दोनों तरफ़ से सर्जिकल स्ट्राइक “एक सीमित कन्वेंशनल युद्ध” में बदल सकती है.
अमेरिका में अल्बानी विश्वविद्यालय के विश्लेषक का मानना है कि भारत के हमलों की व्यापकता, ‘प्रमुख जगहों पर प्रत्यक्ष क्षति’ और हताहतों की संख्या को देखते हुए पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई की पूरी आशंका है.
दक्षिण एशिया मामले के अध्ययन केंद्र से जुड़े एक्सपर्ट ने कहा, “ऐसा न करने से भारत को अपनी मर्ज़ी से पाकिस्तान पर हमला करने की छूट मिल जाएगी और यह पाकिस्तानी सेना की ‘बदले में जवाबी कार्रवाई’ करने की प्रतिबद्धता से उलट होगा.”
उन्होंने कहा, “आतंकवाद और उग्रवाद से जुड़े समूहों और ठिकानों के भारत द्वारा बताए गए टारगेट को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह संभव है कि पाकिस्तान खुद को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमलों तक ही सीमित रखेगा.”
बढ़ते तनाव के बावजूद, कुछ विशेषज्ञ अभी भी तनाव कम होने की उम्मीद जता रहे हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं, “इसकी भी ठीक ठाक संभावना है कि हम इस संकट से उबर जाएं और सिर्फ़ एक-एक बार जवाबी हमले हों और कुछ समय के लिए एलओसी पर भारी गोलाबारी हो.”
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