नई दिल्ली: केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान की अध्यक्षता में मंगलवार को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अंतर्गत आने वाली प्रयोगशालाओं की स्थिति, उनकी कार्यप्रणाली, उपलब्ध सुविधाएं और इनके आधुनिकीकरण के मुद्दे पर बैठक हुई. बैठक में राज्यमंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे, उपभोक्ता सचिव और BIS के डीजी सहित उपभोक्ता मामले, इस्पात, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, वाणिज्य, उर्जा मंत्रालयों और MSME, MOFPI, FSSAI के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा विभिन्न सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में बताया गया कि उत्पादों की जांच के लिए देशभर में BIS की अपनी 8 प्रयोगशालाएं हैं. इसके अलावा BIS ने 243 निजी प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है.
साथ ही अलग अलग सरकारी संस्थानों की लगभग 250 प्रयोगशालाएं हैं जिन्हें BIS ने अपने पैनल में रखा है. चर्चा के दौरान यह बात सामने आी की भारत में मौजूद प्रयोगशालाओं के तेजी से आधुनिकीकरण की जरूरत है. रामविलास पासवान जी ने बताया कि उन्होंने सुझाव दिया है कि जांच सुविधाओं का पूर्ण कम्प्यूटराइजेशन होना चाहिए ताकि स्वचालित ढंग से जांच हो सके. छोटे छोटे शहरों में भी प्रयोगशालाएं बननी चाहिए ताकि उत्पादों की जांच आसानी से और जल्दी हो सके. सबसे जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर, उनके समरूप मानक तय किए जाएं ताकि देश से बाहर जाने वाले उत्पाद वहां के मानकों पर खरे उतर सकें.
जो भी मानक बनें उसमें सभी संबंधित विभागों और विशेषज्ञों की सहमति हो और मानक बनने के बाद उसके सुचारू ढंग से पालन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित विभाग उठाएं. BIS और FSSAI के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत है ताकि खाद्य पदार्थों के मानक तय करने में समरूपता हो. शहरों में पाइपलाइन के जरिए घरों में आपूर्ति होने वाले पानी की गुणवत्ता के मानक BIS ने तय कर रखे हैं. लेकिन इन मानको के पालन की जिम्मेदारी नगर निकायों की है, लेकिन इसका पालन होता है या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं है. देश की राजधानी दिल्ली में आपूर्ति होने वाला पानी भी पीने के लायक नहीं है. जल्द ही दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड, जल शक्ति मंत्रालय और BIS की एक बैठक बुलाई है, जिसमें दिल्ली में आपूर्ति होने वाले पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा की जाएगी.
Suryoday Bharat Suryoday Bharat