
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू), लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. नरेंद्र कुमार को राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्तशासी संस्था अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान (Anusandhan National Research Foundation – ANRF) की एक उच्च स्तरीय समिति — एडवांस्ड रिसर्च ग्रांट (Advanced Research Grant) की तकनीकी कार्यक्रम समिति में सदस्य के रूप में नामित किया गया है।
यह समिति पृथ्वी एवं वायुमंडलीय विज्ञान (Earth and Atmospheric Science) के क्षेत्र में उच्चस्तरीय अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु गठित की गई है, जिसके अंतर्गत चयनित शोध परियोजनाओं को 5 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। इस समिति में कुल 28 सदस्य हैं, जिनमें विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएससी, एनआईटी एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रोफेसर एवं अनुसंधानकर्ता सम्मिलित हैं।
लखनऊ शहर से प्रो. नरेंद्र कुमार एकमात्र सदस्य हैं, और बीबीएयू के इतिहास में यह पहला अवसर है जब विश्वविद्यालय का कोई प्राध्यापक इस प्रकार की राष्ट्रीय शोध समिति का हिस्सा बना है। प्रो. नरेंद्र कुमार पर्यावरणीय परिवर्तन, जलवायु विज्ञान, और सतत विकास जैसे विषयों पर लंबे समय से शोध कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और भारत सरकार की कई परियोजनाओं का सफलतापूर्वक नेतृत्व भी किया है। इस समिति की सह-अध्यक्षता आईआईटी खड़गपुर के प्रो. ए. के. गुप्ता एवं आईआईटी गांधीनगर के प्रो. विमल मिश्रा द्वारा की जा रही है। इस समिति का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए निर्धारित किया गया है, जिसमें देश के चुनिंदा शोध प्रस्तावों की तकनीकी गुणवत्ता, नवाचार क्षमता और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा।
इस उपलब्धि पर प्रो. नरेंद्र कुमार ने कहा कि मेरे लिए यह अत्यंत सम्मान की बात है कि इस राष्ट्रीय स्तर की शोध समिति में कार्य करने का अवसर मिला है। यह न केवल मेरे व्यक्तिगत शोध कार्यों की मान्यता है, बल्कि बीबीएयू की अकादमिक साख को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का माध्यम है। मेरा उद्देश्य रहेगा कि मैं गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों को बढ़ावा दूं, नवाचार आधारित परियोजनाओं का मूल्यांकन करूं और देश में पृथ्वी एवं वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को एक नई दिशा दे सकूं। साथ ही प्रो. नरेंद्र कुमार ने कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल का विशेष धन्यवाद किया जिनके सतत प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के बिना यह कार्य संभव न होता।
इस अवसर पर विभिन्न शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने प्रो. नरेंद्र कुमार को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और इसे विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय बताया।