
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार 12 नवंबर को आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की ओर से ‘पंचकोश एवं जीवन प्रबंधन’ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी जी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मुख्य तौर पर आईक्यूएसी निदेशक प्रो. शिल्पी वर्मा एवं डॉ. नरेन्द्र सिंह उपस्थित रहे। सर्वप्रथम डॉ. नरेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं प्रो. शिल्पी वर्मा ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन डॉ. नरेन्द्र सिंह द्वारा किया गया।

विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने आयोजन समिति को इस प्रकार के सार्थक कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि ‘पंचकोश’ की अवधारणा व्यक्ति के समग्र विकास का मार्ग दिखाती है क्योंकि यह न केवल शारीरिक और मानसिक स्तर पर, बल्कि आध्यात्मिक और बौद्धिक स्तर पर भी संतुलन स्थापित करती है। प्रो. मित्तल का मत था कि शिक्षा के पाठ्यक्रम में पंचकोशीय शिक्षा को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए, और इसी विचार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने ‘पंचकोश’ की अवधारणा को विस्तार से समझाते हुए बताया कि यह हमारे संपूर्ण अस्तित्व के पाँच स्तरों अन्नमय कोश (शारीरिक शरीर), प्राणमय कोश (ऊर्जा), मनोमय कोश (मन), विज्ञानमय कोश (बुद्धि) और आनन्दमय कोश (आत्मा या चेतना) का प्रतिनिधित्व करता है। आज के युग में योग और ‘पंचकोश’ की यह ज्ञान प्रणाली हमें समग्र विकास की दिशा दिखाती है।
कार्यक्रम में विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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