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बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में ‘संकट के समय में स्वस्थ मन’ पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में शुक्रवार 17 अक्टूबर को मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग की ओर से ‘संकट के समय में स्वस्थ मन’ विषय पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर उमराव अस्पताल की क्लीनिकल मनोचिकित्सक डॉ. अल्पना रस्तोगी, मुख्य वक्ता एवं बोधिट्री इंडिया की डायरेक्टर डॉ. नेहा आनंद, गृह विज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. यूवी किरण एवं मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी अग्रवाल उपस्थित रहीं। मंच संचालन का कार्य डॉ. सौम्या तिवारी ने किया।

विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में स्वयं को केंद्र में रखना चाहिए और दूसरों से अपेक्षाएँ नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि खुशहाल जीवन का यह एक अहम सिद्धांत है। उन्होंने बताया कि यदि हम अपने विचारों को सकारात्मक दिशा में विकसित करें तो हम अपने जीवन को काफी हद तक बदल सकते हैं। जब व्यक्ति अपने आहार, विचार, व्यवहार और आत्मिक चेतना में संतुलन स्थापित कर लेता है, तभी वह सच्चे अर्थों में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ बनता है। यही समग्र विकास का वास्तविक मार्ग है।

विशिष्ट अतिथि एवं उमराव अस्पताल की क्लीनिकल मनोचिकित्सक डॉ. अल्पना रस्तोगी ने अपने वक्तव्य में संकट हस्तक्षेप (Crisis Intervention) के महत्व पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गया है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होता है, तो सबसे पहले स्थिति को स्थिर करना, संकट को स्वीकार करना, स्थिति की समझ को सुगम बनाना तथा समाधान की दिशा में प्रयास करना अत्यंत आवश्यक होता है।

मुख्य वक्ता एवं बोधिट्री इंडिया की डायरेक्टर डॉ. नेहा आनंद ने चर्चा के दौरान कहा कि यदि हम अपने विचारों को सही दिशा में मोड़ दें, तो हम अपने व्यवहार और जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन देख सकते हैं। उन्होंने समझाया कि बचपन की मानसिक परेशानियाँ (children’s challenges), वयस्क संघर्ष (adult struggles), पेशेवर थकान (professional burnout), अकेलापन (loneliness) और सामाजिक दबाव ने जीवन को जटिल बना दिया है। उन्होंने OCD, mental health advocacy और coping mechanisms पर भी चर्चा की, और लोगों को प्रकृति से जुड़ने, आत्म-चिंतन करने तथा मानसिक शांति के लिए सरल सूक्ष्म व्यायाम (mind relaxation exercises) करने की सलाह दी।

डॉ. सुप्रिया श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया, डीएसडब्ल्यू प्रो. नरेन्द्र कुमार, प्रो. शिखा, डॉ. नीतू सिंह, डॉ. रचना गंगवार, डॉ. माधवी डेनियल, अन्य शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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