
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में वुधवार 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर ‘आत्महत्या पर विचार बदलना’ चेंजिंग दे नार्राटिव ऑन सुसाइड’ विषय पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल के दिशानिर्देशन में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस.विक्टर बाबू ने की। मुख्य वक्ता के तौर पर मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता डॉ. नेहा आनंद उपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त मंच पर खाद्य एवं पोषण विभाग की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम समन्वयक प्रो. नीतू सिंह, नेशनल टास्क फोर्स, बीबीएयू के नोडल अधिकारी डॉ. दीपेश्वर सिंह एवं बीबीएयू के चीफ मेडिकल ऑफिसर मेजर (डॉ.) विकास श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन अत्यंत अनमोल है, इसे किसी एक परीक्षा या नौकरी के परिणाम से जोड़कर व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
मुख्य वक्ता डॉ. नेहा आनंद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत में आत्महत्या मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण है और हर 40 सेकंड में एक आत्महत्या की घटना सामने आती है।
प्रो. नीतू सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और तनाव सामान्य हैं, किंतु उनका समाधान आत्महत्या नहीं हो सकता।
डॉ दीपेश्वर सिंह ने बताया कि नियमित योगाभ्यास आत्महत्या संबंधी विचारों की आवृत्ति को कम करने में सहायक सिद्ध होता है। विशेष रूप से ध्यान को उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम तकनीक बताया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को ध्यानाभ्यास कराते हुए इसके लाभों का व्यावहारिक अनुभव भी कराया।
मेजर (डॉ.) विकस श्रीवास्तव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का स्वयं समाधान निकालने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।