
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार 5 अगस्त को स्थायी आयोजन समिति एवं नेशनल कैडेट कोर, बीबीएयू के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्र प्रथम – राष्ट्र सर्वोपरि के समर्थन में एक अभियान’ विषय पर एकदिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर सेवानिवृत्त विशिष्ट सेवा मेडल, मेजर जनरल शरभ पचौरी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर विशिष्ट अतिथि 20 यूपी गर्ल्स बटालियन की लेफ्टिनेंट कर्नल कविता रामदेवपुत्र, स्थायी आयोजन समिति के चेयरमैन प्रो. के.एल. महावर, कैप्टन (डॉ.) राजश्री, लेफ्टिनेंट (डॉ.) मनोज कुमार डडवाल एवं डॉ. सूफिया अहमद उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। विश्वविद्यालय कुलगीत के पश्चात आयोजन समिति की ओर से मंचासीन अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया गया। सर्वप्रथम प्रो. के. एल महावर ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। साथ ही कैप्टन (डॉ.) राजश्री ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन डॉ. सूफिया अहमद द्वारा किया गया।

विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि इस आयोजन का मूल उद्देश्य “राष्ट्र प्रथम” की भावना को जागृत करना है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि हमें यह समझना होगा कि ‘देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें’ , यह मात्र एक पंक्ति नहीं, बल्कि हमारे कर्तव्य का मूल मंत्र है। भारत जैसे विशाल देश में जहाँ लगभग 37 करोड़ युवा हैं, वहां हमारे पास अपार श्रमशक्ति है। यदि इस शक्ति का सही दिशा में उपयोग किया जाए तो भारत विश्व पटल पर नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि हमें नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए और इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने सोचने के तरीके को बदलें। प्रो. मित्तल ने यह भी कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता और यह हमारी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं। भारतीय संस्कृति की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करती है, जो समरसता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है। उन्होंने भारतीय और पश्चिमी सभ्यता की तुलना करते हुए स्पष्ट किया कि भारतीय जीवन शैली, दर्शन, शास्त्र और पारिवारिक व्यवस्था भारत को अद्वितीय बनाते हैं। उन्होंने युवाओं को अपने देशी संसाधनों पर गर्व करने और ‘वोकल फॉर लोकल’ के सिद्धांत को अपनाने की प्रेरणा दी। उनका संदेश था कि आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम तभी संभव है जब हर युवा राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को समझे और सकारात्मक योगदान दे।

मेजर जनरल शरभ पचौरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि राष्ट्र की एकता उसकी साझा विशेषताओं जैसे इतिहास, जातीयता, क्षेत्रीयता और संस्कृति से बनती है, जो हमें एक सूत्र में बांधती हैं। उन्होंने प्रसिद्ध पंक्ति ‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, वो हृदय नहीं वह पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं’ का उल्लेख करते हुए समझाया कि यदि किसी व्यक्ति के हृदय में देशभक्ति की भावना नहीं है, तो वह भावहीन और संवेदनहीन है। मेजर जनरल ने यह भी बताया कि भारत की लोकतंत्र, विविधता, सांस्कृतिक विरासत, समृद्ध इतिहास, मजबूत अर्थव्यवस्था, प्राकृतिक संसाधन, डिजिटल प्रगति और विशाल युवा आबादी इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज के समय में वैज्ञानिक सोच और विवेक को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है, जिससे हम तर्कसंगत और समाधानमुखी समाज का निर्माण कर सकें।
लेफ्टिनेंट कर्नल कविता रामदेवपुत्र ने चर्चा के दौरान कहा कि हमें इस बात पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि राष्ट्रभक्ति केवल कुछ विशेष दिनों तक ही सीमित क्यों रह जाती है। देश के प्रति समर्पण की भावना निरंतर बनी रहनी चाहिए, न कि केवल पर्व या अवसरों तक। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं में भटकाव की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो कि एक गहन चिंता का विषय है। ऐसे समय में यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हम अपने देश को सर्वोपरि मानें और यही हमारे धर्म का मूल रूप होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम दूसरों से राष्ट्रभक्ति की अपेक्षा करते हैं, तो इसकी शुरुआत पहले खुद से करनी होगी। जब हम स्वयं अच्छे नागरिक बनेंगे, अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करेंगे, तो स्वतः ही राष्ट्रभक्ति की भावना हमारे भीतर जागृत हो जाएगी। इसी सोच से एक सशक्त, जागरूक और समर्पित राष्ट्र का निर्माण संभव है।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियों एवं शिक्षकों द्वारा एनसीसी कैडेट्स को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंत में आयोजन समिति की ओर से मंचासीन अतिथियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया।
अंत में लेफ्टिनेंट (डॉ.) मनोज कुमार डडवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समस्त कार्यक्रम के दौरान प्रॉक्टर प्रो. एम.पी. सिंह, डीएसडब्ल्यू प्रो. नरेंद्र कुमार, सीओई प्रो.विक्रम सिंह यादव, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर – शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।