एम्स के डॉक्टरों ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉ कफील खान को हटाये जाने की निंदा करते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 30 बच्चों की मौत के भयावह मामले में खान को बलि का बकरा बनाया गया है। उक्त सरकारी अस्पताल के बाल रोग विभाग के नोडल अधिकारी खान की उस समय तारीफ हुई थी जब वह संकट के समय अपने पैसे से ऑक्सीजन के सिलेंडर लेकर आये थे। एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर संघ के अध्यक्ष डॉ हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, ‘‘हमें बड़ी पीड़ा के साथ यह बात कहनी है कि सरकार की बुनियादी खामी और नामाकी के लिए फिर एक डॉक्टर को बलि का बकरा बनाया गया है।’’
संघ ने खान की बर्खास्तगी की निंदा करते हुए एक पत्र लिखा है और उत्तर प्रदेश सरकार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की पूरी तरह अनदेखी का आरोप भी लगाया है। भट्टी ने पत्र में लिखा, ‘‘अगर अस्पताल में ऑक्सीजन, दस्ताने, सर्जिकल उपकरण और बुनियादी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं तो कौन जिम्मेदार है? सरकार के मुताबिक डॉक्टर जिम्मेदार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राजनेताओं से अपील है कि अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए रोगी और डॉक्टर के रिश्ते को नहीं बिगाड़ें।’’
बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के नोडल आफिसर डॉ. कफील खान को कल रात उनके पद से हटा दिया गया। कफील को पहले उनके काम के लिये हीरो बनाया गया था लेकिन अब वह जीरो हो गये हैं। मीडिया ने उन्हें पहले बच्चों की जान बचाने के लिये गैस सिलेंडर का इंतजाम करने वाला एक अच्छा व्यक्ति बताया था लेकिन अचानक वह विलेन हो गये और अधिकारियों ने उन्हें उनके पद से हटा दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कल बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के दौरे के कुछ घंटे बाद ही डा कफील को नोडल ऑफिसर के पद से हटा दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि वह मेडिकल कालेज की खरीद कमेटी के सदस्य भी थे और उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि मेडिकल कालेज को आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति करने वाली कंपनी के बिल बकाया है। बीआरडी मेडिकल कालेज में इस दुखद घटना के कुछ देर बाद डॉ. कफील ने पत्रकारो से बातचीत में कहा था, ”पिछले कुछ दिनों से सभी डॉक्टर अपना काम पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर ऐसा अभियान चला रहे हैं कि मैं मुस्लिम हूं, उन्हें ऐसा नही करना चाहिये। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मैं पहले भारतीय हूं और मैं जो भी कर रहा हूं वह एक डॉक्टर की हैसियत से कर रहा हूं।”