
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, श्रीनगर : ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार से गोलाबारी में तीव्र वृद्धि हुई है, जो छोटे हथियारों से लेकर भारी तोपखाने तक पहुंच गई है, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले नागरिक आबादी को निशाना बनाया, जिसमें कम से कम 15 लोग मारे गए और 57 घायल हो गए। जबकि कश्मीर घाटी के उरी और तंगधार सेक्टरों में भी भारी तोपखाने की गोलाबारी सुनी गई, सबसे खराब स्थिति जम्मू के पुंछ शहर में थी, जहां 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार सार्वजनिक स्थानों के अलावा आवासीय और सरकारी भवनों पर भी तोपखाने के गोले गिरे।
पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित गांवों को निशाना बनाकर भारी गोलाबारी की और मोर्टार गोले दागे जिसमें भारत के चार बच्चों एवं कई सैनिक सहित कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने मृतकों की पहचान बलविंदर कौर उर्फ रूबी (33), मोहम्मद जैन खान (10), उसकी बड़ी बहन जोया खान (12), मोहम्मद अकरम (40), अमरीक सिंह (55), मोहम्मद इकबाल (45), रणजीत सिंह (48), शकीला बी (40), अमरजीत सिंह (47), मरियम खातून (7), विहान भार्गव (13) एवं मोहम्मद रफी (40) और सेना के एक लांस नायक के रूप में की है।
पाकिस्तान की अंधाधुंध गोलाबारी में सैकड़ों निवासियों को भूमिगत बंकरों में शरण लेने या सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गोलाबारी में मकान, वाहन और एक गुरुद्वारा सहित विभिन्न इमारतें नष्ट हो गईं। इससे सबसे अधिक प्रभावित पुंछ जिले और राजौरी तथा उत्तरी कश्मीर के बारामूला और कुपवाड़ा में सीमावर्ती निवासियों में दहशत उत्पन्न हो गई,भारतीय सेना गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप दुश्मन पक्ष के कई लोग / सैनिक हताहत हुए हैं !