
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में सोमवार 1 सितंबर को एमीनेंट लेक्चर व्याख्यानमल के अंतर्गत कमेटी ऑफ ऐमीनेंट लेक्चर सीरीज और खाद्य एवं पोषण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘विदेशी भोजन की अपेक्षा स्वदेशी भोजन को बढ़ावा (Promote Swadeshi Food Over Videshi Food)’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा उपस्थित रहीं। मंच पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू, कमेटी ऑफ ऐमीनेंट लेक्चर सीरीज की चेयरपर्सन प्रो. शिल्पी वर्मा एवं खाद्य एवं पोषण विभाग, बीबीएयू की विभागाध्यक्ष प्रो. नीतू सिंह मौजूद रहीं। मंच संचालन का कार्य डॉ. शिखा तिवारी द्वारा किया गया।

बीबीएयू के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि संतुलित और पौष्टिक आहार केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि विचारों और मन को भी सकारात्मक बनाए रखता है। उन्होंने इस अवसर पर छात्रों और युवाओं को यह संदेश दिया कि हमें ‘स्थानीय उपयोगी, स्वदेशी जरुरी और विदेशी मजबूरी’ की विचारधारा को अपनाना चाहिए।

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्ष 2010 की तुलना में 2024 में भारत में विदेशी खाद्य आउटलेट्स की संख्या 1,200 से बढ़कर लगभग 7,500 तक पहुँच चुकी है। यह आँकड़ा इस बात का संकेत है कि हमारे देश में विदेशी भोजन का चलन कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग का युवा सप्ताह में कम से कम एक बार किसी न किसी रूप में विदेशी आहार का सेवन करता है। शहरी क्षेत्रों में पिछले एक दशक में घर का बना हुआ भोजन 28% तक घट गया है, जो कि चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है।

आयोजन समिति की ओर से खाद्य एवं पोषण से संबंधित प्रदर्शनी उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य और पोषण के महत्व को समझाना था, बल्कि स्थानीय खाद्य उत्पादकों और स्वदेशी सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना भी था।

प्रो. नीतू सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया, समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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