
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में रविवार 6 दिसंबर को स्थायी आयोजन समिति एवं इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बोधिसत्व बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के 70वें महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इसके अतिरिक्त मुख्य तौर पर कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह, डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू एवं स्थायी आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. के.एल. महावर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के आदर्शों को स्मरण करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर एक महान चिंतक, प्रखर समाज सुधारक और दूरदर्शी राष्ट्रनिर्माता थे। उन्होंने विश्व के प्रमुख देशों के संविधानों का अध्ययन कर भारत को एक लिखित, सुव्यवस्थित एवं सर्वसमावेशी संविधान प्रदान किया, जहाँ प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार, सामाजिक समरसता और न्याय की गारंटी प्राप्त है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का जीवन अत्यंत संघर्षों से भरा रहा, इसके बावजूद उन्होंने विश्व के उच्चतम शिक्षण संस्थानों से अपनी शिक्षा पूर्ण की और पूरे देश में सामाजिक परिवर्तन की क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रो. मित्तल ने बताया कि बाबासाहेब द्वारा निर्मित संविधान ने जो सिद्धांत, मान्यताएँ और संरचनात्मक ढांचा देश को दिया, उसी को आधार बनाकर ‘विकसित भारत 2047’ की परिकल्पना निर्मित की गई है। इसीलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन और व्यवहार में उतारें, क्योंकि इन्हीं मूल्यों पर चलकर भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण संभव है, और यही डॉ. अंबेडकर के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर विभिन्न शिक्षक, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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