
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली / स्टॉकहोम : भारतीय रेलवे के लिए यह गर्व की बात है कि उत्तर रेलवे के सेंट्रल हॉस्पिटल (नई दिल्ली) के आर्टिफिशियल लिंब्स सेंटर के प्रमुख, डॉ. मारांडा चंद्र दाश ( डॉ. एम. सी. दाश ) को प्रतिष्ठित इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ प्रोस्थेटिक्स एंड ऑर्थोटिक्स (ISPO) की 20वीं वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस में भारतीय रेलवे के मेडिकल विभाग का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति मिली।
यह सम्मेलन 16 से 20 जून 2025 तक स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित हुआ, जिसमें दुनिया भर के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस वैश्विक मंच पर कुल 212 वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें से केवल दो भारत से थे, और उनमें से एक भारतीय रेलवे की ओर से डॉ. दाश का शोध था, जो पूरे देश और विभाग के लिए गर्व की बात है।
डॉ. दाश ने 18 जून को अपने शोध “गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए सस्ती और सांस लेने योग्य ट्रांस-टिबियल सॉकेट और लाइनर का विकास” पर प्रस्तुति दी, जिसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने खूब सराहा। इस शोध के लिए उन्हें €1000 (यूरो) का पुरस्कार भी मिला, जो उनके कार्य की उपयोगिता और प्रभाव को दर्शाता है।
यह डॉ. दाश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांचवीं प्रस्तुति थी। उन्होंने अब तक 21 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और दो पुस्तकों का सह-लेखन भी किया है।
हर दो साल में होने वाला यह ISPO सम्मेलन प्रोस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स के क्षेत्र में नए विचारों और नवाचारों को बढ़ावा देने वाला मंच है। डॉ. दाश का समर्पण सस्ती, जलवायु के अनुकूल और मरीजों की ज़रूरतों के हिसाब से तैयार तकनीकों के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह उपलब्धि भारतीय रेलवे के लिए एक गौरवशाली पल है, जो वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार में उसके योगदान को दर्शाता है।